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अडाणी समूह ने संकट से उबरने के लिए गुजरात के मुंद्रा में 34,900 करोड़ के पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट का काम रोका

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अ़डाणी ग्रुप को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। निवेशकों का भरोसा फिर से जीतने के लिए समूह लगातार प्रयास कर रहा है। लेकिन इस बीच अडाणी समूह ने गुजरात के मुंद्रा में 34,900 करोड़ रुपये के पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट पर काम रोक दिया है। दरअसल, कंपनी इस समय परिचालन को मजबूत करने की जगह निवेशकों की चिंताओं को दूर करने पर फोकस कर रही है। इस वजह से कंपनी ने पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट पर काम रोकने का निर्णय लिया है। कंपनी के टाप मैनेजमेंट का मानना है कि इस समूह की सबसे बड़ी चिंता अपनी खोई हुई साख को फिर से हासिल करना है। यही वजह है कि अडाणी समूह ने इस महत्वाकांक्षी पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट का काम रोकने का निर्णय लिया है। अडाणी समूह जल्दी से जल्दी फिर पहले जैसी स्थिति हासिल करना चाहता है। इस लिए अडाणी समूह वह जल्दी से जल्दी अपनी देनदारियां खत्म करने का प्रयास कर रहा है। अडाणी समूह सभी संभव तरीकों से धन जुटाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह जल्दी से जल्दी अस्तित्व के इस संकट से बाहर निकल सके।

फिर पुरानी स्थिति में आना चाहता है अडाणी समूह

हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर अकाउंटिंग फ्रॉड और स्टॉक मैनीपुलेशन जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इससे कंपनी को लगभग 140 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। अडाणी समूह फिर पहले जैसी स्थिति हासिल करने के लिए अपनी देनदारियां खत्म करने के लिए विभिन्न उपायों से पैसे जुटाने का प्रयास कर रहा है। समूह का मानना है कि विभिन्न देनदारियां खत्म कर समूह फिर से पुरानी स्थिति हासिल कर सकता है। यही वजह है अडाणी समूह निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए सभी संभव उपाय कर रहा है। ज्ञात हो कि अडाणी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज ने साल 2021 में पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी मुंद्रा पेट्रोकेम लिमिटेड की शुरुआत की थी। इसकी स्थापना गुजरात के कच्छ में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनोमिक जोन भूमि पर कोल टू पीवीसी प्लांट स्थापित करने के लिए की गई थी। अडाणी समूह निवेशकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए न सिर्फ अपने कर्जे चुका रही है, बल्कि अपने खिलाफ लगे आरोपों से भी लड़ रही है। गौतम अडाणी ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि यह उनके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी साजिश का नतीजा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कंपनी इस संकट से जल्दी ही बाहर निकल आएगी।

रद्द की 7,000 करोड़ के कोयला प्लांट की खरीद

इतना ही नहीं, अडाणी समूह कैश फ्लो और उपलब्ध फाइनेंस के आधार पर अपने प्रोजेक्ट्स का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि अडाणी समूह ने कुछ समय के लिए 1 मिलियन टन प्रति वर्ष ग्रीन पीवीसी प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। अडाणी समूह ने वेंडर्स और सप्लायर्स को तत्काल आधार पर सभी गतिविधियों को रोकने के लिए मेल किया है। कमबैक के लिए बनाई गई रणनीति के रूप में अडाणी समूह ने 7,000 करोड़ रुपए के कोयला प्लांट की खरीद को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही खर्चों को बचाने के लिए कंपनी ने पावर ट्रेडर पीटीसी में हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने की योजना को भी रद्द कर दिया है। कंपनी ने ग्रुप की कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को गिरवी रखकर जुटाए गए कुछ कर्ज का भुगतान कर दिया है और कुछ वित्त का समय से पहले भुगतान कर दिया है। मुसीबत में बाहर निकलने के लिए अडाणी समूह ने पिछले दिनों अपनी चार कंपनियों में कुछ हिस्सेदारी एक भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी राजीव जैन की कंपनी को बेच दी थी। अडाणी फैमिली ट्रस्ट ने ओपन मार्केट के जरिए अडानी ग्रुप की चार कंपनियों के 21 करोड़ शेयर अमेरिकी कंपनी जीक्यूजी पार्टनर्स को बेच कर 15,556 करोड़ रुपये जुटाए थे। जीक्यूजी पार्टनर्स ने सेकेंडरी ब्लॉक ट्रेड टांजैक्शंस के जरिए यह हिस्सेदारी खरीदी। इस करार के बाद ही निवेशकों का अडाणी समूह में भरोसा लौटना शुरू हुआ और अडाणी की ज्यादातर कंपनियों के शेयर फिर से हरे निशान में ट्रेड करने लगे।

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