हार्पिक के 'साफ नहीं स्वच्छ’ अभियान का मोर्चा संभाल रखा है अक्षय कुमार ने।
हार्पिक के 'साफ नहीं स्वच्छ’ अभियान का मोर्चा संभाल रखा है अक्षय कुमार ने। Syed Dabeer Hussain – RE
व्यापार

अक्षय का हार्पिक, कोरोना का काल, RE पर दावों की पड़ताल

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • हार्पिक का दावा

  • कीटाणु से लड़ेंगे

  • खिलाड़ी पर दांव

  • फाईट SARS-Cov-2 से!

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19 COVID-19) से खौफजदा दुनिया वालों की बेबसी के इस दौर का फायदा उठाने में कंपनियां पीछे नहीं। कोरोना वायरस से बचाव, सुरक्षा या फिर निदान के तरीके के नाम पर तमाम उत्पादित वस्तुएं बेची जा रही हैं।

अवसरवादी कंपनियों के व्यापारिक दावों, लेन-देन पर कमजोर निगरानी का दुष्परिणाम कोरोना से बचाव के नाम पर बेचे जा रहे वो तमाम उत्पाद हैं जिनकी गुणवत्ता, असर या फिर मारक क्षमता का परीक्षण ही खुद अभी शक के घेरे में है।

हवस की अवधारणा

नया 'साफ नहीं स्वच्छ’ अभियान कोविड-19 से बचाव के लिए हार्पिक कंपनी के उत्पादों की पैरवी करता है। हवस मीडिया (Havas Media) कंपनी ने इस अभियान की अवधारणा रची है। इस कैंपेन में बताया जा रहा है कि हार्पिक के उत्पाद का कीटाणु नाशक प्रभाव कितना असरकारक है। साथ ही Sars-Cov-2 से बचाव में तक कारगर है।

शौचालय और बाथ रूम को कीटाणु रहित करने की आवश्यकता पर अपने ग्राहकों को शिक्षित करने हार्पिक ने अपने दो खास अभियानों की शुरुआत की है।

खिलाड़ी पर दांव -

हार्पिक ने शौचालय और बाथ रूम में कीटाणुओं से लड़ने अपने कैंपन में खिलाड़ी कुमार यानी बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार पर दांव लगाया है।

कारोबार जगत की खबरों पर नजर रखने वाली प्रचलित वेबसाइट फाइनेंसियल एक्सप्रेस डॉट कॉम (financialexpress.com) की रिपोर्ट में आरबी हाइजीन, दक्षिण एशिया की सीएमओ एवं मार्केटिंग डायरेक्टर सुखलीन अनेजा से चर्चा का उल्लेख है।

इसमें अनेजा का दावा है कि हार्पिक पिछले 100 सालों से दुनिया भर में स्वच्छ और स्वच्छता समाधानों तक पहुंच प्रदान करने के मामले में चैंपियन साबित हुआ है।

"इसका संचार व्यवहार परिवर्तन नियंत्रण पर केंद्रित है। अपने नए 'साफ नहीं स्वच्छ' अभियान में हमारा प्रयास है कि उपभोक्ता यानी ग्राहक उनके प्रियजनों को सुरक्षित रखने के लिए घर पर बेहतर कीटाणु नाशक को उपयोग में अपनाएं।"
सुखलीन अनेजा, सीएमओ एवं मार्केटिंग डायरेक्टर, आरबी हाइजीन, दक्षिण एशिया

रिपोर्ट की मानें तो एमडी सुखलीन अनेजा का दावा है कि हार्पिक के टॉयलेट और बाथरूम क्लीनर्स कोविड-19 वायरस को मारने में भी प्रभावी पाए गए हैं। जबकि सामान्य तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले डिटर्जेंट्स के मुकाबले भी ये (हार्पिक क्लीनर्स) बेहद ही कारगर साबित हुए हैं।

अक्षय को है यकीन -

बकौल रिपोर्ट विशेष अभियान के गुणगान में अक्षय बताते हैं कि हार्पिक से जुड़े होने से मुझे भारतीय दर्शकों (ग्राहकों नहीं) तक पहुंचने और भारतीय दर्शकों को स्वास्थ्य रक्षा एवं साफ-सफाई की जरूरत के बारे में शिक्षित करने में मदद मिली है।

वो कहते हैं कि; “जारी महामारी के दौरान, हर कोई हाथ धोने, कीटाणु रहित फर्श और सतहों, शौचालयों और बाथरूम की सफाई करने की आवश्यकता के बारे में जानता है, जिनमें कीटाणु पैदा करने वाली बीमारी हो सकती है।"

“मुझे यकीन है कि यह अभियान उपभोक्ताओं के लिए न केवल सफाई, बल्कि उनके बाथरूम और शौचालय को कीटाणु रहित करने के लिए भी एक संदेश होगा, कि इस प्रकार संक्रमण फैलने से बचा सकता है।”
अक्षय कुमार, फिल्म कलाकार एवं हार्पिक के अभियान के ब्रांड एंबेसडर

निदेशक का दावा –

मीडिया रिपोर्ट में आरबी हाइजीन, दक्षिण एशिया (RB Hygiene, South Asia) के अनुसंधान और विकास के डायरेक्टर स्कंद सक्सेना का भी दावा कुछ इसी तरह का है।

“दोनों, हार्पिक टॉयलेट क्लीनर और हार्पिक बाथरूम क्लीनर ने वैज्ञानिक रूप से साबित कर दिया है कि निर्देशित तरीके से उपयोग करने पर ये उत्पाद सार्स-कोव-2 (Sars-Cov-2) वायरस से लड़ने में कारगर हैं। ऐसे में ये उत्पाद इस कठिन समय के दौरान घरों और परिवारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"
स्कंद सक्सेना, डायरेक्टर, अनुसंधान और विकास, RB Hygiene, South Asia

RB Hygiene, South Asia के निदेशक के मुताबिक हार्पिक शौचालयों/स्नानघरों को प्रभावी ढंग से साफ और कीटाणु रहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सार्स-कोव-2 (Sars-Cov-2) क्या है? –

इसे आधुनिक मोबाइल, फंतासी गेम्स या फिर फिल्मों की वन, टू, थ्री वाली सीरीज के तौर पर समझा जा सकता है। दरअसल वर्ष 2002-03 के दौरान ग्वांग्झो प्रांत में महामारी की वजह बने अनजाने वायरस को वैज्ञानिकों ने अध्ययन उपरांत सार्स (SARS) नाम की पहचान दी थी।

सीवियर एक्यूट रेसपिरेटरी सिंड्रोम को ही सार्स (SARS) के तौर पर जाना जाता है। जानवर जनित इंसान तक पहुंची एक ऐसी बीमारी जिससे इंसान को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

लंबे अंतराल के बाद अब 2019 में पहचाने गए नए कोरोना वायरस SARS-Cov-2 ने दुनिया के तमाम देशों में लोगों को अपना निवाला बनाया है। हाल फिलहाल तो कोरोना वायरस का टीका आगामी कई महीनों तक तैयार होता नजर नहीं आ रहा है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट में येल यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर जैसन स्क्वॉर्ट्ज के हवाले से कोविड-19 महामारी की उपचार संबंधी तैयारियों का उल्लेख है।

तैयारी में देरी -

वे कहते हैं कोरोना बीमारी के उपचार की तैयारी साल 2002 की सार्स महामारी के वक़्त ही शुरू हो जानी चाहिए थी।

"अगर हमने सार्स वैक्सीन प्रोग्राम बीच में नहीं छोड़ा होता तो नए कोरोना वायरस पर रिसर्च करने के लिए हमारे पास काफी बुनियादी स्टडी उपलब्ध होती।"
प्रोफेसर जैसन स्क्वॉर्ट्ज, येल यूनिवर्सिटी

सैंकड़ों वैक्सीन मौजूद! -

गोपनीयता की शर्त पर बॉयोटेक कंपनी के वीरोलॉजिस्ट (विषाणु विशेषज्ञ) ने बताया कि निवर्तमान दुनिया में कोरोना वायरस उपचार के लिए सैंकड़ों वैक्सीन हैं; लेकिन यह इंसानों पर कारगर होने के बजाय सुअर, मुर्गे-मुर्गी और गाय जैसे जानवरों की जीवन सुरक्षा में मददगार हैं। कारण इनका एक बड़ा फलता फूलता विश्व व्यापी बाजार भी है।

बात राज की –

आपको तो पता ही होगा कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन (डब्ल्यूएचओ-WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन तक ने अभी तक कोरोना वायरस बीमारी से बचाव की किसी भी दवा, जड़ी-बूटी या नीक-हकीम वाले किसी इलाज पर अपनी मुहर नहीं लगाई है।

कोरोना बीमारी से बचाव के लिए जी-जान से जुटीं कई बड़ी कंपनियों की दवाओं के इंसान और जानवरों पर प्रयोग के शुरुआती रुझानों पर भी फिलहाल संशय है। हालांकि दावे जरूर हवा में हैं।

ऐसे में उत्पाद खरीदने से पहले कोरोना का दावा करने वाली कंपनियों के उत्पादों से जुड़े कोरोना वायरस संबंधी दावों के बारे में पड़ताल जरूर कर लें। ऐसा न करने पर कोरोना वायरस से निजात मिले-न-मिले आपकी गाढ़ी कमाई का पैसा कोरोना काल में लालची कंपनियों की तिजोरी का हिस्सा जरूर बन सकता है।

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डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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