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अमेरिका के सबसे मूल्यवान स्टार्टअप वीवर्क ने दीवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए किया आवेदन

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • कंपनियों को किराए पर स्पेस उपलब्ध कराती है वीवर्क

  • वीवर्क के रेवेन्यू में स्पेस लीज का लगभग 74% हिस्सा

  • कंपनी ने 50 अरब डॉलर बताई ऐसट व लायबिलिटीज

राज एक्सप्रेस। जापान के साफ्टबैंक समूह से निवेश हासिल करने वाले स्टार्टअप वीवर्क ने अमेरिका में दीवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन कर दिया है। इस स्टार्टअप की शुरूआती सफलता और फिर असफलता ने वैश्विक स्तर पर रियल इस्टेट सेक्टर के हलचल पैदा कर दी है। हाल के सालों में इसके ऑफिस शेयरिंग स्पेस की मांग घटने के बाद इसकी वित्तीय सेहत लगातार बिगड़ने लगी थी। रियल इस्टेट सेक्टर में काम करने वाली वीवर्क में सॉफ्टबैंक की करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी है। सॉफ्टबैंक ने वीवर्क को संकट से निकालने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया, लेकिन वह उसे घाटे से नहीं निकाल पाया।

अव्यवहारिक बिजनेस मॉडल की वजह से डूबी कंपनी

सॉफ्टबैंक ने अब स्वीकार कर लिया है कि इस स्टार्टअप को मुश्किल से बाहर निकल पाना संभव नहीं है। हालांकि. अगर यह अपने लीज रेट्स में बदलाव करती हैं, तो कुछ रास्ता निकल सकता है। अस्वीकार्य बिजनेस मॉडल की वजह से वीवर्क के लिए मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया था। इसके लीज रेट्स भी काफी महंगे थे। इसलिए वीवर्क के कॉर्पोरेट क्लाइंट्स ने लीज कैंसल किए हैं। वीवर्क के रेवेन्यू में 2023 की दूसरी तिमाही में स्पेस लीज की 74 फीसदी हिस्सेदारी थी। बैंकरप्सी फाइलिंग में कंपनी ने अपनी एसेट और लायबिलिटी 10 अरब से 50 अरब डॉलर की रेंज में बताया है। वीवर्क की लॉ फर्म ने अगस्त माह में अपनी वेबसाइट पर लैंडलॉर्ड्स के नोट में कहा था वीवर्क मुश्किल लीजेज से छुटकारा पाने के लिए यूएस बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों का इस्तेमाल करेगी।

एडम न्यूमैन ने की थी वीवर्क की शुरुआत

वीवर्क की शुरुआत एडम न्यूमैन ने की थी। यह एक समय अमेरिकी का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप बन गया था। इसकी वैल्यू 47 अरब डॉलर के पहुंच गई थी। रिय़ल इस्टेट सेक्टर के इस स्टॉर्टअप में कई बड़े निवेशकों ने निवेश किया था। इनमें जापान के प्रमुख बैंक साफ्टबैंक और वेंचरकैपिटस फर्म बेंचमार्क जैसी कंपनियां शामिल हैं। इसमें जेपी मार्गन चेज समेत कुछ बड़े अमेरिकी बैंकों ने भी निवेश किया था। न्यूमैन ने हमेशा ही प्रॉफिट की जगह ग्रोथ को ज्यादा महत्व दिया। इसके साथ ही उनमें व्यावहारिक कौशल का भी बहुत अभाव था। अपने क्लाइंट्स के साथ उनका व्यवहार ठीक नहीं था। इसी वजह से उन्हें कंपनी से बाहर जाना पड़ा। इसके साथ ही 2019 में आईपीओ लाने की योजना भी पटरी से उतर गई।

संदीप मथरानी भी नहीं दिखा पाए कोई कमाल

लगातार बढ़ते दबावों को देखते हुए सॉफ्टबैंक को वीवर्क में अपना निवेश घटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसने रियल एस्टेट दिग्गज संदीप मथरानी को इस स्टार्टअप का सीईओ नियुक्त किया। वीवर्क 590 लीज की शर्तों में बदलाव करने में सफल रही। इससे फिक्स्ड लीज पेमेंट के रूप में कंपनी करीब 12.7 अरब डॉलर की सेविंग करने में सफल रही। लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आ गई।

कोरोना काल में धीरे-धीरे बैठ गया वित्तीय ढ़ांचा

कोरोना महामारी की वजह से विभिन्न कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की छूट दे दी थी। वीवर्क के ज्यादातर ग्राहक स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियां थीं। मुद्रा स्फीति बढ़ने और वित्तीय स्थिति खराब होने की वजह से इन कंपनियों ने अपने खर्च में कमी करने का निर्णय लिया। इससे वीवर्क की मुश्किलें बहुत बढ़ गईं। इस दौर में वीवर्क अपने आंतरिक संसाधनों को लेकर संघर्ष कर रही थी, तो उसे अपने लैंडलार्ड्स से भी कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा था। इस दोहरे संघर्ष ने कंपनी को बुरी तरह तोड़कर रख दिया। धीरे-धीरे कंपनी के सभी वित्तीय संसाधन सूखते चले गए। अब कंपनी के सामने दीवाला प्रक्रिया का सहारा लेने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं बचा था।

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