Arbitration court bans Reliance and Future Group deal
Arbitration court bans Reliance and Future Group deal Syed Dabeer Hussain - RE
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Amazon की याचिका पर मध्यस्थता अदालत के फैसले से RIL को लगा बड़ा झटका

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। लॉकडाउन से अब तक 15-16 बड़ी कंपनियों के साथ बड़ी डील फ़ाइनल करने के बाद अब भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) को एक बड़ा झटका लगा है। क्योंकि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच होने वाली डील पर Amazon कंपनी की अपील पर मध्यस्थता समिति ने रोक लगा दी है। यानि कि, अब रिलायंस की रिटेल यूनिट और फ्यूचर ग्रुप के बीच साझेदारी नहीं हो सकेगी।

मध्यस्थता अदालत ने अंतरिम आदेश :

दरअसल, सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने अंतरिम आदेश देते हुए फ्यूचर ग्रुप पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 24,713 करोड़ रुपये में अपना खुदरा कारोबार बेचने पर रोक लगा दी है। इस फैसले से मुकेश अंबानी की कंपनी को भले बड़ा झटका लगा हो, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी Amazon को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि, यह फैसला Amazon कंपनी के पक्ष में आया है। यदि यह साझेदारी नहीं होती है तो, फ्यूचर ग्रुप लिक्विडेशन में जाएगी। बता दें, इस मामले को लेकर Amazon.Com ने सिंगापुर में मध्यस्थता अदालत में याचिका दायर की थी।

रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील :

Amazon द्वारा फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस की डील को लेकर दायर की गई याचिका पर मध्यस्थता अदालत ने रविवार को अंतिम फैसला सुनाया। बता दें इस फैसले में अगस्त में रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई 24,713 करोड़ रुपए की डील को केंसल कर दिया गया है। इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड को बेचा था। Amazon द्वारा याचिका दायर करने की मुख्य वजह यह है कि, साल 2019 के अगस्त में Amazon ने फ्यूचर कूपंस में 49% हिस्सेदारी हासिल की थी।

Amazon और फ्यूचर ग्रुप की डील की शर्ते :

बता दें, Amazon द्वारा मध्यस्थता अदालत में दायर की गई याचिका में फ्यूचर ग्रुप द्वारा रिलायंस को अपने रिटेल असेट्स की बिक्री कर डील के तहत तय की गई शर्तो का उल्लंघन किया है। बताते चलें, Amazon और फ्यूचर ग्रुप के बीच 2019 में 1,500 करोड़ रुपए की डील कुछ शर्तो के साथ हुई थी। जिसके तहत Amazon को निवेश द्वारा फ्यूचर कूपंस में 49% हिस्सेदारी मिली थी। इसी डील के तहत ही निम्नलिखित शर्त रखी गई थी।

  • Amazon को तीन से 10 साल की अवधि के बाद फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार होगा।

  • फ्यूचर ग्रुप मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप की किसी भी कंपनी को अपने रिटेल असेट्स नहीं बेच सकती।

अदालत में फ्यूचर ग्रुप का कहना :

इस मामले में फ्यूचर ग्रुप का अदालत में कहना था कि, यदि वह रिलायंस के साथ यह डील नहीं करती तो, यह नौबत आजाती कि, कंपनी को अपने 1500 से आउटलेट्स को बंद करने पड़ते और कंपनी और वेंडर्स फर्म के 29 हजार कर्मचारियों की नौकरी से निकलना पड़ता। इन सबसे बचने के लिए कंपनी ने ये फैसला किया। क्योंकि, कोविड-19 के चलते कई भारतीय कारोबार प्रभावित हुए हैं। खासतौर पर इसका असर रिटेल सेक्टर में पड़ा है। FRL-रिलायंस के साथ की गई इस डील का उदेश्य सिर्फ फंड इंफ्यूजन के माध्यम से सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करना था।

रिलायंस रिटेल वेंचर्स का कहना :

फ्यूचर ग्रुप का कहना है कि, उसकी रिलायंस रिटेल के साथ डील भारतीय कानून के आधार पर हुई है। यह डील उस डील से अलग हुई है। उधर इस मामले में रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने एक बयान जारी कर कहा है कि, 'उसने उचित कानूनी सलाह के तहत फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की संपत्ति और व्यवसाय के अधिग्रहण के लिए लेनदेन में प्रवेश किया है और भारतीय कानून के तहत अधिकार और दायित्व पूरी तरह से लागू हैं।

अंतिम फैसला आना बाकी :

मध्यस्थता अदालत के एक मात्र मध्यस्थ वी. के. राजा ने इस सौदे को रोकने को लेकर कहा है कि, जब तक इस मामले में मध्यस्थ का अंतिम फैसला आना बाकि है। जब तक के लिए इस डील को पूरा नहीं किया जा सकता है। बता दें, इस मामले पर आगे की कार्यवाही के लिए तीन सदस्यीय मध्यस्थता पीठ का गठन किया जाएगा। वही पीठ 90 दिनों में विचार विमर्श करने के बाद दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अंतिम फैसला सुनाएगी। इस पीठ में फ्यूचर और Amazon की ओर से एक-एक नामित सदस्य शामिल होंगे। जबकि एक सदस्य तटस्थ रहेगा।

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