youth perched Schooter in Asam
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असम के युवक ने छह साल तक एकत्र किए सिक्के, 90 हजार रुपये हुए तो बोरी में भरकर पहुंचा शोरूम खरीदा स्कूटर

Aniruddh pratap singh

राज्य एक्सप्रेस। अपने लिए स्कूटर खरीदने के जुनून में असम के एक युवक ने छह साल तक गुल्लक में सिक्के एकत्र किए। छह साल बाद जब स्कूटर खरीदने लायक पैसे एकत्र हो गए तो उसने सभी सिक्के एक बोरी में भरे और उसे पीठ पर लादकर स्कूटर खरीदने शोरूम जा पहुंचा और अपने लिए एक स्कूटर खरीदा लिया। गुवाहाटी में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले इस युवक के स्कूटर खरीदने के जुनून की तारीफ की जा रही है। युवक ने कहा स्कूटर खरीदने के इस जुनून ने जीवन में एक जरूरी पाठ भी पढ़ा दिया कि अगर हमारे पास धीरज और जुनून हो तो हम छोटी-छोटी बचतों से भी बड़ा काम कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर यह युवक सुर्खियां बटोर रहा है।

छह साल एक-एक सिक्का जुटाया, तब एकत्र हुए 90 हजार

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मोहम्मद सैदुल हक असम के डारंग जिले में सिपाझर इलाके में रहते हैं। वह गुवाहाटी में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। वह कई सालों से स्कूटर खरीदना चाहते थे, लेकिन रोजमर्रा के दवाबों की वजह से अपने लिए दोपहिया वाहन नहीं खरीद पा रहे थे। उन्होंने योजना बनाई कि अगर वह छोटी छोटी बचतें करके पैसा एकत्र करें तो एक दिन उनका यह सपना पूरा हो सकता है। इसमें एक लाभ यह भी है, इससे उनके ऊपर कोई दबाव भी नहीं आएगा। स्कूटर खरीदने का जुनून था, उन्होंने सिक्के जुटाने शुरू कर दिए। वह रोज कुछ सिक्के एक गुल्लक में डालने लगे। यह काम वह लगातार छह साल तक करते रहे। इस दौरान कई बार आर्थिक दवाब भी आए, लेकिन उन्होंने मुश्किल वक्त में भी इन पैसों को कभी हाथ नहीं लगाया। छह साल के संयम के बाद अंततः उनके पास स्कूटर खरीदने लायक 90 हजार रुपए जमा हो गए।

स्कूटर खरीदने की सोची तो आया सिक्के जुटाने का खयाल

सब्र और चाहत की मिसाल पेश करने वाले मोहम्मद सैदुल हक स्कूटर खरीदकर खुश हैं। उन्होंने कहा बाइक खरीदने का सपना बहुत पहले देखा था। उन्होंने बताया कि मैं बोरागांव इलाके में एक छोटी सी दुकान चलाता हूं और स्कूटर खरीदना मेरा सपना हुआ करता था। इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने 5-6 साल पहले सिक्के जमा करना शुरू किया था। यह तरीका थोड़ा कठिन था, लेकिन मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है। इस उपलब्ध पर मैं वास्तव में खुश हूं। क्योंकि यह स्कूटर में मैंने उस छोटी-छोटी बचत से खरीदी है, जिसका मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं पड़ा। मुझे पता ही नहीं चला कि इतने पैसे कैसे एकत्र हो गए। इसमें एक संदेश भी है कि अगर हमारे बीच कुछ हासिल करने का जुनून है, तो उसे छोटी-छोटी बचतों से भी पूरा किया जा सकता है।

शोरूम मालिक ने आसान की सैदुल की मुश्किल

इतने सारे सिक्के जमा करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन उससे भी बड़ी एक समस्या यह थी कि इतने सिक्के लेगा कौन। दुकानदार एक साथ इतने सिक्के आसानी से ले लेगा, सैदुल हक इस बात को लेकर बहुत आशंकित थे। लेकिन जब एजेंसी मालिक को इस बारे में पता चला तो उन्होंने सैदुल हक की मुश्किल आसान कर दी। दोपहिया वाहन शोरूम के मालिक ने कहा जब मेरे एक्जीक्यूटिव ने मुझे बताया कि एक ग्राहक हमारे शोरूम में 90 हजार रुपये के सिक्कों के साथ स्कूटर खरीदने आया है, तो मैंने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सिक्के स्वीकार कर लिए। मैंने उन्हें स्कूटर लेने के बाद उनकी आंखों में जो खुशी देखी, उसे मैं कभी नहीं भूल सकता। मैं चाहूंगा कि वह बचत करके अगली बार कार खरीदें।

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