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Go first एयरलाइंस के 11,463 करोड़ रुपए कर्ज के एक हिस्से को बट्टे-खाते में डालने का विरोध करेगा एआईबीईए

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने कहा है कि यदि गो फर्स्ट उसके ऋण के एक हिस्से को बट्टे खाते में डाले जाने की योजना के तहत स्वैच्छिक दिवाला याचिका दायर करती है, तो बैंकों का संगठन इसका विरोध करेगा। एआईबीईए महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा, यदि विमानन कंपनी ने ऋण बट्टे खाते में डालने के लिए स्वैच्छिक दिवाला याचिका दायर की है, तो यह पूरी तरह से अनैतिक है। उन्होंने कहा गो फर्स्ट की देखादेखी अन्य कंपनियां भी ऋण बट्टे खाते में डालने के लिए स्वैच्छिक दिवाला याचिका दायर करना शुरू कर देंगी। यह बैंकों और अन्य कर्जदाताओं को गलत उपाय अपनाते हुए संकट में डालने वाली बात है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारत सरकार को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा गो फर्स्ट का ऋण खाता 30.4.2023 तक बैंकों के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) नहीं है।

दो मई को कंपनी ने लगाई थी दीवाला याचिका

वेंकटचलम ने कहा, बैंकों को दिवाला याचिका दायर करने वाली कंपनी के खाते को एनपीए घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और यह पहली तिमाही के नतीजों में दिखाई देगा। 2 मई को गो एयर ने स्वेच्छा से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में एक दीवाला याचिका दायर की है, जिसमें उसने इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को अपनी मुसीबतों के लिए दोषी ठहराया है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि क्या यह ऋण को बट्टे खाते में डालने की रणनीति है? दीवालियापन के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता को दोष देते हुए आवेदन करने के विमानन कंपनी के निर्णय ने इसके ऋणदाताओं, लेनदारों, कर्मचारियों, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी और अन्य को पूरी तरह से चौंका दिया है। दो दिन बाद क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने कहा कि उसने सर्वोत्तम उपलब्ध जानकारी के आधार पर बीडब्ल्यूआर डी पर कुल 2,918.33 करोड़ रुपये की गो एयरलाइंस की बैंक ऋण सुविधाओं के लिए रेटिंग घटा दी है, क्योंकि जारीकर्ता ने सहयोग नहीं किया।

अब भी मानक खाता है गो एयर का ऋण अकाउंट

ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, कर्जदाताओं ने कर्ज चुकाने की बाध्यताओं पर किसी तरह की रोक का विरोध किया है। एक प्रमुख वित्तीय दैनिक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि ऋणदाता अपने ऋण में कटौती को स्वीकार करते हैं, तो गो एयरलाइंस के प्रमोटर अपनी दिवाला याचिका वापस ले सकते हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि बैंकर अपनी प्राप्तियों में कटौती करने के बजाय अधिक उधार देने और चुकौती अवधि बढ़ाने के इच्छुक हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गो एयरलाइंस का ऋण खाता अभी भी एक मानक खाता है, प्रमोटर एयरलाइन के लिए बोली जमा कर सकते हैं, जबकि जिन कंपनियों के ऋण खाते को एनपीए घोषित किया गया है, उनके प्रमोटर बोली जमा नहीं कर सकते हैं और नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश कर सकते हैं।

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