Ashnir Grover
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व्यापार

भारतपे के पास वकीलों देने के लिए 10 मिलियन डॉलर हैं, पर विश्व कप प्रायोजन के लिए नहीं : अश्नीर ग्रोवर

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट

  • आखिर भारतपे ने आईसीसी विश्व कप 2023 से अपना नाम क्यों वापस लिया?

  • भारतपे बेवजह पीछे हट गया और मास्टरकार्ड को मुफ्त में दे दी विश्वकप की स्पांसरशिप।

  • रजनीश कुमार उसी समय मास्टरकार्ड इंडिया बोर्ड में गलत तरह सो शामिल किए गए।

राज एक्सप्रेस। शार्क टैंक के पूर्व जज अश्नीर ग्रोवर ने भारतपे द्वारा दायर किए गए मुकदमे में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा से समन मिलने के एक दिन बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारतपे ने मेरे खिलाफ वकीलों पर 10 मिलियन डॉलर खर्च कर दिए। लेकिन विश्व कप के लिए उसके पास 10 मिलियन डॉलर (लगभग 80 करोड़ रुपये) नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह सब अहंकार है, दूसरी कोई वजह नहीं है।

विश्वकप से जुड़े व्यापार पर अश्नीर ग्रोवर ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि भारतपे ने आईसीसी विश्व कप 2023 से अपना नाम वापस ले लिया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि इस महा-संग्राम में भारत मैच जीत सकता है। इस स्थिति में भारत पे ने अपना नाम वापस लिया है, जिसे कोई उचित निर्णय नहीं कह सकता।

उन्होंने बताया कि 2021 में जब वह भारत पे में थे तो आईसीसी के साथ 3 साल का अनुबंध किया था। यह बड़ा अवसर था और भारतपे को वैश्विक प्रायोजक के रूप में 3 विश्व कप मिल रहे थे - पहला टी20 विश्व कप जिसका आयोजन दुबई में 2021 में किया गया, दूसरा टी20 विश्व कप जो ऑस्ट्रेलिया में 2022 में हुआ और वर्तमान वनडे विश्व कप, जो आज अहमदाबाद में हो रहा है। अश्नीर ग्रोवर ने कहा कि यह सौदा 27 मिलियन डालर या लगभग 215 करोड़ का था।

अश्नीर ग्रोवर ने बताया उन्होंने 2022 में कंपनी छोड़ दी थी। रजनीश कुमार के नेतृत्व में भारतपे ने कोई नया उत्पाद नहीं पेश किया और न कोई नई कारोबारी रणनीति को आकार दिया। सन 2022 में आस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए 2022 में केवल वरिष्ठ कर्मचारियों को कंपनी के सवैतनिक अवकाश पर ले जाया गया। इसका नकारात्मक असर यह हुआ कि इन सभी लोगों ने कुछ ही महीनों के भीतर कंपनी छोड़ दी। उन्होंने कहा इस पर 17 मिलियन डालर खर्च कर दिए गए।

ग्रोवर ने कहा मुख्य कार्यक्रम, आईसीसी विश्व कप 2023 के रूप में व्यापारियों, ग्राहकों और कर्मचारियों के साथ ब्रांडिंग और जुड़ाव का शानदार अवसर सामने आया है। इस सिर्फ 10 मिलियन डॉलर यानी 80 करोड़ रुपये ही खर्च होने थे, लेकिन यह कंपनी को पसंद नहीं आया। अश्नीर ग्रोवर ने कहा ऐसे मौके पर क्या कोई यकीन कर सकता है कि भारतपे ने अपने कदम वापस खींच लिए और मास्टरकार्ड को स्लॉट दे दिया।

यह शुद्ध रूप से रजनीश कुमार का निर्णय रहा है, जो एक ऐसी कंपनी का नेतृत्व करते हैं, जिसने मेरे ख़िलाफ़ केस में वकीलों पर लगभग 10 मिलियन डालर या लगभग 80 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन विश्व कप के लिए उसके पास 10 मिलियन डालर नहीं हैं। दरअसल, यह सारा मामला अहंकार का है। जिसे उन्होंने अपनी प्राथमिकताओँ में कंपनी के हितों से हमेशा ही ऊपर रखा है।

यह बात भी गौर करने वाली है कि रजनीश कुमार लगभग उसी समय मास्टरकार्ड इंडिया बोर्ड में शामिल किए गए, और उन्होंने मास्टरकार्ड को थाली में रखकर प्रायोजन के अधिकार सौंप दिए। सोचने की बात यह है कि रजनीश प्रतिस्पर्धी व्यवसाय में कैसे शामिल हो सकते हैं, जबकि समझौते में साफ कहा गया था कि वह किसी प्रतिस्पर्धी के साथ नहीं जुड़ सकते हैं। उन्हें बताना चाहिए कि इतने मूल्यवान प्रायोजन को उन्होंने एक प्रतियोगी कंपनी को क्यों सौंप दिया। यह ग्रोवर ने कहा यह संबंधित पार्टी लेनदेन भी नहीं है। यह एक ही पार्टी लेनदेन है।

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