CEA नागेश्वरन ने दिया भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा बयान
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CEA नागेश्वरन ने दिया भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा बयान

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। पिछले सालों के दौरान कोरोना के चलते भारत की अर्थव्यवस्था काफी गड़बड़ा गई थी। हालांकि, अब देश के हालात काफी सुधार चुके है। इतना ही नहीं अब देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सामने आ रहे अलग-अलग लोगों के बयान काफी हैरान कर देने वाले हैं। हाल ही में देश के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी ने भी भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़े बयान दिए थे। वहीँ, अब मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने बड़ी बात कहते हुए एक बड़ी उम्मीद जताई है।

CEA ने दिया भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर दिया बड़ा बयान :

दरअसल, मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है। इस बयान से एक बड़ी उम्मीद जाग गई है। CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कहा है कि, "अगले सात साल में भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़कर 7,000 अरब डॉलर हो सकती है। देश की अर्थव्यवस्था 2022-23 के अंत तक मौजूदा कीमतों पर 3,500 अरब अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी। सरकार ने पहले 2025 तक देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया था। कैलेंडर वर्ष 2023 रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष की पृष्ठभूमि में शुरू हुआ, जिससे "भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक अनिश्चितताएं पैदा होंगी।"

MCCI के एक कार्यक्रम में दिया संबोधन :

बता दें, हाल ही में MCCI के एक कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने हिस्सा लिया। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जनता को संबोधित करते हुए कहा कि, "महामारी के दो साल बाद चीन में प्रतिबंधों का खत्म होना भी विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। इसके अलावा तेल और जिंसों की कीमतों में गिरावट तथा अमेरिका और यूरोप की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि का रुख भी देखा जा सकता है। इसका असर बाकी दुनिया पर भी पड़ेगा। 2022-23 के अंत में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) मौजूदा मूल्य पर 3,500 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। अगले सात साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 7,000 अरब डॉलर की हो जाएगी, जो असंभव नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है अमेरिका की ओर से 2024 या 2025 में अपनी ब्याज दरों को कम करना। इसका असर भारतीय रुपये पर भी पड़ेगा। मध्यम अवधि में वृद्धि आठ या नौ प्रतिशत की जगह 6.5 प्रतिशत रह सकती है। वर्ष 2003-2008 की दौरान इतनी ही वृद्धि देखी गई।"

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