Adani Hindenburg Case : Hindenburg रिपोर्ट के सामने आते ही चारों तरफ सिर्फ Adani Group और Hindenburg ये मामला ही चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है। इतना ही नहीं इसी रिपोर्ट के चलते Adani Group का नाम सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले की सुनवाईयां लगातार सुप्रीम कोर्ट में चल रही हैं। इस मामले में अब एक नया अपडेट सामने आया है। जो कि, यह है कि, हाल ही में इस मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक्सपर्ट कमेटी बनाने का ऐलान किया था। इस कमेटी के लिए सरकार ने एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में रख कर देने की को कहा था, लेकिन अब केंद्र सरकार की सलाह को नामंजूर कर दिया गया है।
केंद्र सरकार की सलाह हुई नामंजूर :
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा Adani Group और Hindenburg मामले की जांच के लिए गठित की जाने वाले कमेटी के लिए एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में में देने को लेकर सलाह दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर करते हुए मामले में एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में रख कर लेने से साफ इनकार कर दिया है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, 'वह ट्रांसपेरेंसी चाहती है। इसलिए केंद्र की सलाह नहीं मानी जा सकती। आपने जो नाम सौंपे हैं, वह दूसरे पक्ष को नहीं दिए गए तो पारदर्शिता की कमी होगी। इसलिए हम अपनी तरफ से कमेटी बनाएंगे। हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। कमेटी यह देखेगी कि, स्टॉक मार्केट के रेगुलेटरी मैकेनिज्म में फेरबदल की जरूरत है या नहीं।'
दायर की गई 4 जनहित याचिकाएं :
बताते चलें, Adani Group और Hindenburg मामले को लेकर अब तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। जो कि, एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार द्वारा दायर की गई हैं। इस मामले की पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला द्वारा शुक्रवार 10 फरवरी को की गई थी। इन याचिकाओं के माध्यम से यह दावा किया गया है कि, 'Hindenburg ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे 'निवेशकों को भारी नुकसान' हुआ। इस रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और Hindenburg के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक SEBI को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।'
गौरतलब है अमेरिकी इनवेस्टमेंट रिसर्च और एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) द्वारा यह रिपोर्ट 24 जनवरी को जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के माध्यम से Adani Group पर कई आरोप लगाए गए हैं।
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