चीन का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा, इस मामले में भारत से आगे है केवल तीन देश
चीन का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा, इस मामले में भारत से आगे है केवल तीन देश Social Media
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चीन का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा, इस मामले में भारत से आगे हैं केवल तीन देश

Author : Kavita Singh Rathore

चीन, दुनिया। इस दुनिया में कोरोना वायरस की एंट्री के साथ ही अनेक देशों की हालत ख़राब होना शुरू हो गयी थी। क्योंकि, कोरोना वायरस की शुरुआत होते ही लगभग सभी देशों ने अपने देश में लॉकडाउन लागू कर दिया था। जिसके चलते अनेक देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। इतना ही नहीं कई देश जहां अब भी आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं। वहीं, अब खबर यह है कि, कई देश आर्थिक मंदी से बाहर आते नजर आ रहे हैं। इन देशों में चीन भी शामिल है। इसका अंदाजा चीन देश के विदेशी मुद्रा भंडार से लगाया जा सकता है।

चीन का विदेशी मुद्रा भंडार :

आज भी अनेक देश हैं जो आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं, वो सिर्फ चीन की वजह से जैसा कि, सभी जानते हैं कि, कोरोना वायरस की जन्म भूमि चीन के वुहान शहर को कहा जाता है। यहीं से कोविड के वायरस ने फैलना शुरू किया और पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद तो मानों जैसे सभी देशों का बुरा समय शुरू हो गया। कई देशों की अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ी नजर आई यहां तक की अब भी कई देशों में नुकसान जारी है। इसी बीच चीन से खबर आई है कि, चीन का विदेशी मुद्रा भंडार चालू वित्त वर्ष में काफी बढ़ा है। बता दें, किसी भी देश का विदेशी मुद्रा भंडार अर्थव्यवस्था के हालात को दिखता है। यदि इसमें बढ़त दर्ज होती है, अर्थात देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती है।

चौथा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश :

बताते चलें, आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुसार, वर्तमान समय में भारत दुनिया का चौथा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश है, जबकि इस लिस्ट में भारत से आगे चीन, जापान और स्विट्जरलैंड का नाम है। आर्थिक समीक्षा के दौरान यह बात कही गई है कि, "वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर (करीब 44,810 अरब रुपये) से ऊपर निकल गया। इस साल 31 दिसम्‍बर, 2021 तक 633.6 बिलियन डॉलर (करीब 47,300 अरब रुपये) के स्‍तर पर पहुंच गया। वहीं विदेशी मुद्रा भंडार के लिहाज से नवम्‍बर 2021 के अंत तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड ही भारत से आगे रहे।"

कुल विदेशी कर्ज :

बताते चलें, आर्थिक समीक्षा में देश पर कुल विदेशी कर्ज का भी जिक्र किया गया है। सितंबर 2021 के अंत तक देश पर कुल 593.1 अरब डॉलर (करीब. 44,295 अरब रुपये) का विदेशी कर्ज था। जो 30 जून 2021 के मुकाबले 3.9% अधिक है।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?

विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :

  • विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

  • अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।

  • यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय ले सकती है।

  • विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।

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