हाइलाइट्स
शराब बेचने CIABC का CM's को पत्र
नॉन-कोविड जोन में सेल की दी गई सलाह
केंद्र का विश्वास अर्जित करने किया गया आग्रह
20,000 करोड़ रेवेन्यु नुकसान का किया उल्लेख
राज एक्सप्रेस। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज़ (CIABC) ने भारी वित्तीय घाटे और नौकरी में कटौती के डर से नॉन कोविड जोन में शराब की बिक्री शुरू करने की तत्काल आवश्यकता के बारे में’; राज्यों को केंद्र का ध्यान आकर्षित करने के लिए आग्रह किया है। इस संबंध में संगठन ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है।
शीर्ष निकाय की सलाह :
पत्र में हवाला दिया गया है कि राज्यों को पहले ही अब तक के लॉकडाउन के दौरान रेवेन्यु में लगभग 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। भारतीय मादक पेय उद्योग की शीर्ष निकाय ने केंद्र के साथ ही राज्यों से भी सोशल डिस्टेंस संबंधी सभी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए शराब की दुकानें खोलने की अनुमति देने पर विचार करने कहा है। साथ ही मदिरा दुकानों पर भीड़ जमा न हो इसलिए ऑनलाइन सेल पर विचार करने की भी सलाह दी गई है।
मामले को फिर उठाएं :
CIABC ने शराबबंदी के अधीन राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस बारे में पत्र लिखकर गुहार लगाई है। संगठन ने राज्य सरकारों से अपील की है कि वे COVID-19 के ताजा दिशा निर्देशों के साथ उत्पादन की अनुमति देने के लिए एक बार फिर केंद्र के समक्ष मामले को उठाएं।
पत्र में उल्लेख है कि "संवैधानिक रूप से शराब किसी राज्य के निर्णय का एक मामला है, शराब विक्रय की अनुमति देने या मना करने का अधिकार भी राज्य सरकार के विवेकाधिकार में निहित है।"
टेक्नोलॉजी बेस्ड कंट्रोल :
CIABC ने राज्य सरकारों को मदिरा विक्रय प्रणाली में बदलाव लाने की दरकार जताई है। भविष्य में भी सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए अल्कोहलिक बेवरेज इंडस्ट्री में प्रौद्योगिकी आधारित नियंत्रण लागू करने की जरूरत संगठन ने बताई गई है। कार्य प्रक्रिया में मानव नियंत्रित उत्पादन, भंडारण के बजाए टेक्नोलॉजी बेस्ड कंट्रोल के बारे में केंद्र का ध्यान आकर्षित करने के लिए राज्य सरकारों से पत्र में आग्रह किया गया है।
अवैध कारोबार पर लगाम :
गौरतलब है देश के तमाम राज्यों से लॉकडाउन के दौरान शराब के अवैध कारोबार की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। तालाबंदी के दौरान जानलेवा कच्ची शराब तक का विक्रय जोरों पर है। भले ही सरकार ने शराब विक्रय पर प्रतिबंध लगाया हो लेकिन गुपचुप तरीके से शराब का दोगुनी-चौगुनी कीमत पर अवैध कारोबार जारी है।
ऐसे में सरकार को शराब के कारोबार से प्राप्त होने वाली रेवेन्यु भी प्रभावित हो रही है। हालांकि यह भी साफ है कि शराब विक्रय पर प्रतिबंध के कारण घरेलू और सामाजिक हिंसा के ग्राफ में भी काफी कमी आई है। फिलहाल शराब विक्रय पर प्रतिबंध या अनुमति से जुड़ा निर्णय राज्य सरकारों के विवेक का विषय है।
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