5G सर्विसेज शुरू होने में आ रहीं यह मुश्किलें
5G सर्विसेज शुरू होने में आ रहीं यह मुश्किलें Syed Dabeer Hussain - RE
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5G सर्विसेज शुरू होने में आ रहीं यह मुश्किलें

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। पिछले साल यह खबर आई थी कि,टेलीकॉम कंपनियां अपने 5G को लांच करने की तैयारियों में जुटी हैं। इस खबर के सामने आते ही भारतवासी 5G नेटवर्क का इंतज़ार बेसब्री से कर रहे थे। इसी बीच अब 5G सर्विसेज शुरू होने में आरही मुश्किलें सामने आ गई हैं। जबकि, केंद्र सरकार और दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा दूरसंचार कंपनियों को 5G नेटवर्क परीक्षण (ट्रायल) के लिए अनुमति तक मिल चुकी थी।

5G सर्विसेज में आ रहीं मुश्किलें :

दरअसल, भारत में मौजूद टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दूरसंचार विभाग (DoT) को 5G नेटवर्क ट्रायल की अनुमति लेने के लिए एप्लीकेशन दी थी। जीके लिए पिछले साल मंजूरी मिल गई थी, लेकिन कंपनियां अब तक अपनी 5G सर्विसेज शुरू नहीं कर सकीं हैं। इसके पीछे आ रही एक सबसे बड़ी मुश्किल महंगे टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की बताई जा रही है। क्योंकि, दूरसंचार नियामक TRAI द्वारा 5G स्पेक्ट्रम के लिए जो मिनिमम कीमत की सिफारिश की है, वह ज्यादातर विकसित देशों की नीलामी की कीमत से कई गुना ज्यादा है। बता दें, TRAI ने 5G स्पेट्रक्म की नीलामी पर स्टेक होल्डर्स से अपनी रे देने को कहा था, जिसके जवाब में टेलीकॉम कंपनियों ने इस विषय पर चिंता जताई है।

5G स्पेक्ट्रम की मिनिमम कीमत :

बताते चलें, TRAI ने 5G स्पेक्ट्रम की जो न्यूनतम कीमत की सिफारिश की थी वो कीमत 492 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज है। TRAI ने यह कीमत 3.5 गीगाहर्ट्ज बैंड वाले स्पेक्ट्रम के लिए सिफारिश की थी। इस मामले में सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने अपनी रे देते हुए कहा है कि, 'हाल ही में ब्रिटेन में हुई नीलामी में 3.6-3.8 गीगाहर्ट्ज के 5G स्पेक्ट्रम की न्यूनतम कीमत 40.03 करोड़ रुपए, हांगकांग में (3.5 गीगाहर्ट्ज) 3.87 करोड़ रुपए और पुर्तगाल में (3.6 गीगाहर्ट्ज) 1.07 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज तय की गई थी। देश में कई गुना ज्यादा कीमत पर 5G स्पेक्ट्रम नीलाम करने की सिफारिश की गई है। सरकार यदि यह सिफारिश मान लेती है तो दूरसंचार कंपनियों के लिए देश में 5G की फुल सर्विस शुरू करना मुश्किल हो जाएगा।'

आय का हिस्सा :

प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत की टेलीकॉम कंपनियां अपनी आय का लगभग 32% हिस्सा स्पेक्ट्रम पर खर्च करती है। जबकि दूसरे बड़े देशों में कंपनियां आय का 18% हिस्सा स्पेक्ट्रम पर खर्च करती है। इस हिसाब से देखा जाये तो स्पेक्ट्रम की कीमत अनुमानित आय के अनुपात में होना चाहिए, जिससे टेलीकॉम सेक्टर आगे बढ़ सके।

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