Fear of retail inflation exceeding 7% for third consecutive month
Fear of retail inflation exceeding 7% for third consecutive month Kavita Singh Rathore -RE
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लगातार तीसरे महीने खुदरा महंगाई दर 7% से ज्यादा रहने की आशंका

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस के चलते सभी देशों के लिए साल 2020 काफी बुरा साबित हो रहा है। ऐसा ही कुछ हाल भारत का भी है। भारत में बढ़ती महंगाई को देखते हुए लग रहा है कि, इस साल के अंतिम महीने भी भारत के लिए लिए कुछ खास नहीं रहने वाले है। इसी बीच देश में खुदरा महंगाई दर नवंबर में लगातार तीसरे महीने 7% से ज्यादा होने की आशंका जताई गई है। सरकार द्वारा अगले सप्ताह खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए जा सकते हैं।

खुदरा महंगाई दर :

दरअसल, देश में खुदरा महंगाई की दर नवंबर में लगातार तीसरे महीने 7% से ज्यादा होने की आशंका जताई गई है, लेकिन अक्टूबर के दौरान 7.61% के मुकाबले कम रहे की आशंका है। वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के लक्ष्य 2 से 6% तक ऊपर रहेगी।

अर्थशास्त्रियों ने बताया :

बताते चलें, हाल ही में अर्थशास्त्रियों द्वारा एक सर्वे किया गया था जिसके बाद उन्होंने बताया कि, 'देश में खाद्य कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम भी पिछले 20 दिनों में काफी बढ़ गए हैं। ऐसे में नवंबर में खुदरा महंगाई की दर RBI के तय लक्ष्य से ज्यादा रह सकती है। अगर नवंबर में यह दर 7% से ज्यादा रहती है तो यह लगातार तीसरा महीना होगा, जब खुदरा महंगाई की दर 7% से ज्यादा होगी। इससे पहले अक्टूबर में खुदरा महंगाई की दर 7.61% रही थी, जो साढ़े छह साल का उच्च स्तर था।'

लगातार सातवें महीने 6% :

देश में खुदरा महंगाई की दर लगातार सातवें महीने 6% से ही दर्ज की गई। जबकि, खुदरा महंगाई की यह दर मई 2014 के बाद सबसे ऊंची दर है। केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बताया है कि, 'अक्टूबर की तुलना में नवंबर में खुदरा महंगाई की दर कम रहने की उम्मीद है, क्योंकि सब्जियों और दाल की कीमतों में कमी आई है। हालांकि, नवंबर में पेट्रोल के दाम बढ़े हैं, जिससे महंगाई दर में तेजी दिख सकती है।'

RBI का कहना :

बता दें, RBI द्वारा हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक की गई थी। इस बैठक के बाद उच्च महंगाई दर को देखते हुए अपनी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। RBI का कहना था कि, 'महंगाई की दर अभी उच्च स्तर पर बनी रहेगी। हालांकि, तरलता के कारण इससे ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। घरेलू अर्थव्यवस्था में इस साल पहली तिमाही में 23.9% की ऐतिहासिक गिरावट रही थी, जो दूसरी तिमाही में सुधरकर 7.5% पर पहुंच गई थी।'

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