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महंगाई रोकने में विफल रहा फेडरल रिजर्व, उसकी नकल की जगह नीतिगत फैसले खुद ले आरबीआईः अनिरुद्ध सरकार

Author : Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। क्वेस्ट इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफीसर और ख्यात निवेश विशेषज्ञ अनिरुद्ध सरकार ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध और इसके बाद बेलगाम गति से बढ़ी महंगाई ने हमारे सामने बिल्कुल नई तरह के जोखिम निर्मित किए हैं। इसके नकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगे हैं और इनमें अगले दिनों में और विस्तार होना तय है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। बढ़ती महंगाई की वजह से विकसित देशों की घरेलू बचत दर में गिरावट आएगी। ऐसे में अगर निकट भविष्य में बाजार में नकारात्मक प्रवृत्तियां और अस्थिरता बनी रहे तो आश्चर्य की बात नहीं है। अनिरुद्ध सरकार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई को निय़ंत्रित कर पाने में पूरी तरह असफल साबित हुआ है। अमेरिका में महंगाई की नकेल कसने के चक्कर में बैंकों की बैलेंस सीट खराब हुई है। अगर स्थिति से निपटने के लिए सही समय पर सही कदम नहीं उठाए गए, तो वहां बहुत बड़ा वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व को महंगाई की जगह आर्थिक विकास पर और मजबूत बैंकिंग फाइनेंशियल सिस्टम विकसित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

बैंकिंग बना रहेगा प्रामिसिंगि सेक्टर

अनिरुद्ध सरकार ने कहा इस समय होटल, ब्रांडेड परिधान, ट्रेवेल एसेसरीज जैसे हायर एंड अर्बन खपत से जुड़े क्षेत्रों में निवेश के ज्यादा बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। ग्रामीण भारत की मांग में रिकवरी के साथ ही खपत से जुड़े कुछ शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है। इस सेक्टर को कमोडिटी की कीमतों में गिरावट का भी फायदा मिलेगा। बैंकिंग एक प्रामिसिंगि सेक्टर बना रहने वाला है। अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर में आए संकट के चलते भारत सहित पूरी दुनिया में इस सेक्टर को लेकर डर पैदा हो गया है, लेकिन भारतीय बैंकिंग सेक्टर बुनियादी तौर पर बहुत मजबूत है। हाल के दिनों में एनपीए के लेवल और प्रॉविजनिंग कॉस्ट में भी गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में बैंक शेयरों को लेकर पॉजिटिव रहा जा सकता है। निवेशकों को सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के क्वालिटी बैंकों में निवेश बनाए रखना चाहिए।

फेड बैंक की नीतियों की नकल करना ठीक नहीं

उन्होंने कहा पिछले कुछ समय से अडाणी समूह के शेयरों में काफी अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है, लेकिन उनके निवेश पैमाने में न आने की वजह से उन्होंने इस ग्रुप के शेयरों में निवेश नहीं किया है। हाल के दिनों में अडाणी ग्रुप के शेयरों को लेकर उठे विवाद को लेकर वह कमेंट करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन उनका मानना है कि कंपनी का मैनेजमेंट स्थितियों से निपटने के लिए उचित उठा रहा है। उन्होंने अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर में उत्पन्न सकंट पर कहा अब समय आ गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीतियों की नकल नहीं करते हुए अपने नीतिगत फैसले खुद लेने चाहिए। आरबीआई को यह बात समझनी चाहिए कि इस समय भारत में विकास ज्यादा जरूरी है। ऐसे में महंगाई को रोकने को ज्यादा तरजीह न देकर उच्च ब्याज दरों से बाहर निकलने की जरूरत है। अगर देश में ब्याज दरों की दर ऊंची बनी रहती है, तो हाउसिंग सेक्टर पर दबाव देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि आगे होने वाली बैठकों मे्ं आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर निरपेक्ष रवैया अपनाएगा।

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