पिता से मिली जियो की प्रेरणा- मुकेश अंबानी
पिता से मिली जियो की प्रेरणा- मुकेश अंबानी Syed Dabeer Hussain - RE
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पिता से मिली जियो की प्रेरणा- मुकेश अंबानी

Author : राज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। भारत और एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने 2016 में रिलायंस जियो लाकर टेलिकॉम की दुनिया में तहलका मचा दिया था। देश में करोड़ों लोगों को सस्ता डेटा मुहैया कराने का श्रेय मुकेश अंबानी को जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें इसकी प्रेरणा कहां से मिली। मुकेश अंबानी का कहना है कि उन्हें अपने पिता धीरूभाई अंबानी से इसकी प्रेरणा मिली थी। अंबानी ने एक किताब के विमोचन के मौके पर कहा कि एक बार मुंबई में उनके पिता के हाथ में एक पोस्टकार्ड था और वह सोच रहे थे कि काश हर भारतीय इस पोस्टकार्ड की कीमत पर एक दूसरे से बात कर सकता तो फिर भारत कहां पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का टेलीकॉम सेक्टर को लेकर रोडमैप शुरू से स्पष्ट था। उन्होंने कहा, हमारा रोडमैप यह था कि कॉलिंग को किसी पोस्टकार्ड से भी सस्ता बनाया जाए। आज यह पूरी तरह से फ्री है और अब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तो यह न सिर्फ लोगों में संवाद कराएगा बल्कि तमाम अनगिनत चीजें भी। मुकेश अंबानी ने रिलायंस की सफलता की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि एक स्कूल टीचर के बेटे धीरूभाई अंबानी करीब 60 साल पहले महज एक हजार रुपए लेकर मुंबई पहुंचे थे। उन्होंने एक कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से जियो शुरुआती सफलता के बाद आज भारत का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है।

मैंने वही किया जो पिता चाहते थे :

उन्होंने कहा कि उनके पिता हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि भविष्य की नई टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए। आगे बढ़ना चाहते हो तो भविष्य के कारोबार को अपनाना चाहिए और अगली पीढ़ी की प्रतिभाओं में निवेश करना चाहिए। मैंने वही किया जो पिता चाहते थे। उन्होंने बताया कि उनके पिता हमेशा नई टेक्नोलॉजी अपनाने पर जोर देते थे और इसी वजह से रिलायंस समूह पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल से आगे बढ़ते हुए टेलीकॉम कारोबार में उतरा और रिलायंस जियो का जन्म हुआ। अगर आप टेलीकॉम को देखें तो हमारे नजरिए से हमने भविष्य की एक टेक्नोलॉजी को तैयार किया है। यह हमारे पिता का नजरिया था। वे हमेशा कहते थे हम केवल एक टेक्सटाइल्स कंपनी बन कर नहीं रह सकते हैं।

नए तरीके से परिभाषी हो विनिर्माण क्षेत्र :

मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत को विकास के लिए विनिर्माण के बारे में दोबारा नए सिरे से सोचना चाहिए। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को नए तरीके से परिभाषित करना चाहिए। हमें अपने छोटे और मध्यम स्तर यानी एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने की जरूरत है। मुकेश अंबानी ने कहा कि देश में कुछ मामूली बदलाव के लिए तीन प्रमुख लक्ष्य तय किए हैं। पहला लक्ष्य भारत को डिजिटल सोसाइटी में बदलना है। दूसरा लक्ष्य भारत के एजुकेशन सेक्टर में बदलाव लाने का है। उनका कहना है कि हमारे देश की एजुकेशन सिस्टम में करीब 20 करोड़ बच्चे रहते हैं। भारत के स्किल आधार को पूरी तरह से बदलने में 8 से 10 साल लगेंगे। वहीं, अंबानी का तीसरा लक्ष्य एनर्जी सेक्टर को लेकर है। उन्होंने कहा कि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करने के लिए एनर्जी सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करना चाहते हैं।

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