चावल निर्यात को लेकर सरकार का बड़ा फैसला
चावल निर्यात को लेकर सरकार का बड़ा फैसला सांकेतिक चित्र
व्यापार

गेहूं-चीनी निर्यात पर प्रतिबंध के बाद अब केंद्र सरकार ने चावल निर्यात को लेकर लिया बड़ा फैसला

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना की एंट्री के बाद से सबसे ज्यादा अगर कोई चीज बढ़ी है तो वो महंगाई ही है। आज भारत के हर क्षेत्र में महंगाई बढ़ती जा रही है। किसी इंडस्ट्री की बात करें तो रौ मटेरियल (कच्चे माल) की कीमतें बढ़ती जा रही है। ऑटो सेक्टर की बात करें तो, वाहन निर्माण में लगने वाली चिप के दाम बढ़ते जा रहे है। वहीं, यदि कृषि क्षेत्र की बात करें तो गेहूं-चावल की कीमतें बढ़ती जा रही है। इन बढ़ती कीमतों के चलते ही केंद्र सरकार को हाल ही में तत्काल प्रभाव से गेहूं-चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसा बड़ा फैसला किया था। वहीँ, अब सरकार ने चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए एक और बड़ा फैसला किया है।

चावल के निर्यात पर लगा शुल्क :

दरअसल, आज भारत में गेंहू के साथ ही चावल की कीमतें भी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इन कीमतों पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार ने कोई न कोई अहम फैसला लेती आई है। वहीं, अब सरकार ने चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% शुल्क लगाने का फैसला किया है। यानी अब किसी भी देश में चावल के निर्यात पर 20% शुल्क (Export Duty) एक्स्ट्रा देना होगा। हालांकि, इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से कुछ ऐसा कहा गया था कि, 'चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध लगाने की योजना नहीं है और घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक है।'

क्या है कारण :

बताते चलें, चावल पर इस 20% निर्यात शुल्क को इसलिए भी बढ़ाया गया है क्योंकि, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में औसत से कम बारिश हुई है और जिससे चावल के उत्पादन में काफी दिक्कत हुई और चवाल का उत्पादन उतना नहीं हो सका, जितना होना था। कम बारिश के कारण इस साल इन कुछ राज्यों में धान की बुवाई का रकबा 6% घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर रह गया है। जबकि, भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो, भारत द्वारा 21.2 मिलियन टन चावल का निर्यात किया गया हैं।

26 अगस्त तक राज्यों में धान का रकबा :

बताते चलें, इस साल खरीफ की फसल के सीजन में 26 अगस्त तक झारखंड में 10.51 लाख हेक्टेयर, पश्चिम बंगाल में 4.62 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 3.45 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 2.63 लाख हेक्टेयर और बिहार में भी धान का कम रकबा हुआ है। सरकार के इस फैसले से पहले ही व्यापारियों को उम्मीद थी कि, सरकार चावल के निर्यात को लेकर भी कोई फैसला ले सकती है।

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