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आर्थिक विकास को लेकर किए जा रहे मनमाने 'प्रचार' पर विश्वास कर गलती कर रहा भारतः रघुराम राजन

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • देश की आर्थिक संरचना में अब भी अनेक गंभीर खामियां मौजूद हैं

  • खामियों को दूर किए बिना विकास के लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं

  • युवा कार्यबल को कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती

राज एक्सप्रेस । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना ​​है कि भारत अपनी मजबूत आर्थिक बढ़ोतरी के बारे में "प्रचार" पर विश्वास करके बड़ी गलती कर रहा है। उन्होंने कहा देश की आर्थिक संरचना में अब भी अनेक गंभीर खामियां हैं, जिन्हें तुरंत संबोधित किए जाने की जरूरत है। इनकी ओर से ज्यादा दिनों तक उदासीन बने रहने की जरूरत नहीं है। रघुराम राजन ने कहा हमें अगले दिनों में इसके दुष्परिणामों को लेकर तैयार रहने की जरूरत है।

रघुराम राजन ने कहा कि चुनाव के बाद नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बड़ी संख्या में हर साल तैयार होने वाले कार्यबल के लिए शिक्षा और कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराना है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इसे ठीक किए बिना, भारत अपनी युवा आबादी की क्षमताओं का पूरी तरह से लाभ उठाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, भारत की सबसे बड़ी गलती आर्थिक विकास को लेकर बढ़ा-चढ़ाकर किए जाने वाले प्रचार पर विश्वास करना है।

इस प्रचार को वास्तविकता में बदलने के लिए कई साल मेहनत करने की जरूरत है। यहां यह जानना अहम है कि आर्थिक विकास के प्रचार पर विश्वास करना एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में राजनेताओं का आग्रह है कि आप इस पर यकीन करें। चाहते हैं कि आप विश्वास करें क्योंकि वे चाहते हैं कि आप विश्वास करें कि हम आ गए हैं।" लेकिन, उन्होंने कहा, "उस विश्वास के आगे झुकना भारत के लिए एक गंभीर गलती" होगी।

रघुराम राजन ने कहा वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही में भारत की विकास दर सभी उम्मीदों को पार करते हुए 8.4 प्रतिशत रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अवसरों पर कहा है कि भारत अगले कुछ वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वर्ष 2047 तक भारत एक पूरी तरह से विकसित अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हालाँकि, रघुराम राजन ने पीएम मोदी के विकसित अर्थव्यवस्था लक्ष्य को खारिज करते हुए कहा यदि देश में हाईस्कूल के पहले ही पढ़ाई छोड़देने वाले बच्चों कीं संख्या चिंताजनक रूप से बहुत अधिक है, तो इस तरह से काल्पनिक लक्ष्यों पर बात करना हास्यास्पद है।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे लक्ष्य निर्धारित करने के पहले हमें इन प्राथमिकताओं पर गौर करने की जरूरत है। पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन ने कहा कि भारत में कार्यबल बहुत तेज गति से बढ़ रहा है, लेकिन ने देश की अर्थव्यवस्था में तभी योगदान दे सकते हैं, जब उन्हें अच्छी नौकरियां मिल सकें। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि एक ओर हमारे कार्यबल में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन उस अनुपात में नौकरियों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। लिहाज बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार रह जाते हैं। हमें इस संभावित त्रासदी से निपटने के उपायों पर काम करने की जरूरत है।

तभी हम एक बेहतर आर्थिक भविष्य की ओर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा भारत को अपने कार्यबल को अधिक रोजगारपरक बनाने और मौजूदा कार्यबल के लिए अधिकाधिक रोजगार सृजित करने पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा भारत को सतत आधार पर 8 फीसदी की विकास दर हासिल करने के लिए अभी काफी काम करने की जरूरत है। रघुराम राजन की यह टिप्पणी कुछ वित्तीय संस्थानों और विदेशी निवेशकों द्वारा कही गई बातों से बिल्कुल विपरीत हैं। हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है और वे अगले दशक में भारत की संभावित वृद्धि पर बड़ा दांव लगाने की बात कह रहे हैं।

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