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व्यापार

कैसे अमेरिका-ईरान के गतिरोध में फंसा भारत?

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स :

  • अमेरिका-ईरान के बीच बढ़ता तनाव चिंताजनक

  • तेल की कीमत बढ़ने से बढ़ेंगी अन्य चीजों की कीमतें

  • भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत में आ रही लगातार उछाल

राज एक्सप्रेस। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के इस दावे से कि मृतक ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी का 2012 में नई दिल्ली में एक इज़रायली राजनयिक की कार पर बमबारी करने के मामले में भी हाथ था, से भारत भी वाशिंगटन और तेहरान के बीच शत्रुता की जद में आ गया है।

तेल आपूर्तिकर्ता :

भले ही भारत ने अमेरिका के कहने के बाद ईरानी क्रूड ऑयल का आयात बंद कर दिया हो, लेकिन पश्चिम एशियाई क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है। इसमें इराक, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत शामिल हैं जो भारत के सबसे बड़े तेल निर्यातक हैं।

बढ़ेगी बीमा कवर लागत :

जैसी की आशंका जताई जा रही है अमेरिका और ईरान के बीच जारी गतिरोध के कारण यदि युद्ध हुआ तो भारत की तेल आपूर्ति पर खासा असर पड़ेगा। इससे न केवल भारत की तेल आपूर्ति लाइनें प्रभावित होंगी बल्कि तेल टैंकरों के लिए बीमा कवर से जुड़ी लागत भी बढ़ने की आशंका जानकार जता रहे हैं। गौरतलब है भारत इन देशों से अपने तेल की जरूरतों का 84% स्टॉक आयात करता है।

संयम की अपील :

भारत सरकार ने तेहरान और वाशिंगटन से चर्चा कर संयम की अपील की। विदेश मामलों के मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ से इस बारे में बात की।

सुरक्षित बंदरगाह :

भारत, ईरान और अफगानिस्तान से जुड़ी त्रिपक्षीय परियोजना चाबहार बंदरगाह का विकास भारत में व्यापारिक उद्देश्य से खासा महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के विकास के बहाने अरब सागर में बढ़ते चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए चाबहार महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि ग्वादर की चाबहार से दूरी महज 100 किलोमीटर से भी कम है।

प्रतिबंध सूची :

यहां तक ​​कि अफगान व्यापार को विकसित करने के मकसद से अमेरिका भी चाबहार बंदरगाह को प्रतिबंधों की सूची के दायरे से बाहर रखने पर सहमत हुआ है। भारत और ईरान के बीच साल 2018-19 में 17 बिलियन डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ जिसमें ईरान से 80% के करीब आयात शामिल है।

सहायक कारक :

दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध में भारत बेवजह फंसता दिख रहा है और अमेरिका एवं ईरान से संयम बरतने कह रहा है। हालांकि भारत की कश्मीर नीति एवं धारा 370 को निरस्त करने के मामले में ईरान पहले भी भारत की आलोचना कर चुका है।

रिश्ते अतीत में :

यहां तक ​​कि साल 2005 में ईरान की परमाणु योजनाओं के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाने के कारण अतीत में भारत और ईरान के बीच संबंधों में खटास पैदा हो गई थी। बाद में ईरान ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते तक तोड़ने की बात कही थी।

चार साल बाद, भारत ने ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को रोकने के लिए IAEA (इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेंसी) में अमेरिका के साथ फिर से मतदान किया। इस कारण भी ईरान को भारत से ऐतराज़ रहा।

ट्रम्प की नीतियों की मार :

दरअसल यूएस-ईरान तनाव बढ़ने के चलते सोमवार को वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ने से पैट्रोल की कीमत में 15 पैसे जबकि डीज़ल की कीमतों में 17 पैसों की वृद्धि हुई है। दिल्ली में खुदरा पैट्रोल पंप पर कीमत में लगातार पांचवे दिन वृद्धि देखी गई।

दरअसल ट्रंप ने सोमवार को अपनी संसद में संबोधित किया था। इस संबोधन में ट्रंप ने बगदाद में ड्रोन हमले में सुलेमानी के मारे जाने के बाद अमेरिकी सेना को देश छोड़ने की बात कहकर बड़े प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी।

निवेश पर नज़र :

सोमवार का दिन दलाल स्ट्रीट पर उथल-पुथल वाला रहा। यूएस-ईरान तनाव के चलते निवेशकों के 3 लाख करोड़ डूब गए। सोमवार को सेंसेक्स 788 अंक गिरकर 40,676 पर बंद हुआ। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपया भी 72 अंकों की गिरावट के साथ तेजी से गिरा। रुपये में तेज गिरावट के कारण निवेश में सुरक्षित माने जाने वाले कीमती सोने की कीमत भी तेजी से बढ़कर 41,730 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई।

हालांकि, मध्य पूर्व के तनाव में कमी के कारण तेल की कीमतों में गिरावट से मंगलवार को जरूर बाजार की कीमतों में गिरावट आ गई।

आर्थिक वृद्धि पर असर :

यह सब घटनाक्रम उस अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर है जो छह वर्षों में सबसे कम वृद्धि के बाद मंदी से बाहर आने संघर्षरत है।

कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत का मासिक आयात बिल 1.5 बिलियन डॉलर और खुदरा मुद्रास्फीति लगभग 0.4% बढ़ने की आशंका बिज़नेस एक्सपर्ट्स ने जाहिर की है। ऐसे समय में जब सरकार अर्थव्यवस्था में खपत और मांग को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है, उच्च तेल की कीमतें भारत सरकार को खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर कर सकती हैं। इससे मंदी का दौर जरा लंबा भी खिंच सकता है।

सुरक्षा की चिंता?

अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य प्रशिक्षण फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। इस प्रशिक्षण को उसने 2018 में आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त नहीं मानकर निलंबित कर दिया था। अमेरिका के इस कदम को ईरानी जनरल की मौत के बाद उसकी पश्चिम एशियाई रणनीति के व्यापक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।

नया नेता तैनात :

इस बीच, इस्माइल गनी ने कासिम सुलेमानी की मौत के बाद कुद्स फोर्स के नए नेता के रूप में कार्यभार संभाला है। अब अगर तेहरान ने जवाबी हमला किया तो ट्रंप ने जवाब में ईरान के 52 सांस्कृतिक और विरासत स्थलों को नष्ट करने की धमकी दी है। वहीं ईरान में कुद्स फोर्स के नए चीफ ने अमेरिका से जनरल सुलेमानी की मौत का बदला लेने की चेतावनी दी है। ईरान की संसद में अमेरिका की सेना को आतंकी संगठन घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।

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