राज एक्सप्रेस। भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए शराब कारोबारी और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या इन दिनों एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, बीते माह में कोरोना संकट के बीच विजय माल्या ने भारत सरकार के सामने एक ऑफर की पेशकश की है। आपको याद दिला दें, माल्या ने बैंक से लिया हुआ कर्ज लौटाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इसे अब भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में 13 बैंकों के कंसोर्टियम ने इस प्रस्ताव को बेतुका यानि फालतू का ही बताया है।
क्या है मामला :
बता दें, विजय माल्या वही शख्स है जो, भारत के बैंकों द्वारा कर्ज लेकर करोड़ों का चूना लगाकर लंदन भाग गया था। वहीं, माल्या द्वारा बैंक को घोटाले की 9,834 करोड़ रुपये लौटने का प्रस्ताव रखा गया जिसे भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले 13 बैंकों के कंसोर्टियम ने इस प्रस्ताव को बेतुका बताते हुए माल्या के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट में दिवालिया आदेश को बढ़ा दिया है। साथ ही मंगलवार को सुनवाई के दौरान बैंकों ने अपने बयान में कहा कि, माल्या के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई होना बहुत जरूरी है।
जस्टिस मर्सिया का कहना :
बताते चलें, इस मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस माईकल ब्रिग्स के सामने भारतीय बैंकों की तरफ से मर्सिया शेकरदिमियां पैरवी कर रहीं है। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि, विजय माल्या के खिलाफ दिवालियापन आदेश जरूरी होने का एक और अन्य कारन यह भी है कि, उसने खुद बैंकों को सुरक्षित ऋणदाता नहीं बताया था।
ज्ञात हो, जस्टिस ब्रिग्स ने ही अप्रैल में बताया था कि माल्या को तब तक समय दिया जाना चाहिए जब तक भारत में उसके खिलाफ दिवालिया मामले में फैसला नहीं आ जाता। इसलिए इसमें शक नहीं किया जाना चाहिए कि, इस मामले में दिवालिया कानून के तहत आदेश जरूरी है। मर्सिया ने सुनवाई में कहा, माल्या की सभी दलीलें और ऑफर्स बेतुके हैं। इनका कोई मतलब नहीं है।
बैंक के वकील का कहना :
दूसरी तरफ बैंक के वकील का कहना है कि, विजय माल्या ने जो प्रस्ताव पेश किया है। उसमें यूनाइटेड ब्रेविरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (UBHL) की जिन संपत्तियों को शामिल किया था उन पर अधिकारिक लिक्विडेटर का अधिकार है। ये संपत्ति फिलहाल माल्या के लिए उपलब्ध ही नहीं हैं। इससे साफ समझ आता है कि, माल्या का प्रस्ताव कोई मतलब का नहीं है।
इस पर माल्या के वकील फिलिप मार्शल ने सफाई पेश करते हुए कहा कि, बैंक सुरक्षित ऋणदाता हैं और इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए। सरल शब्दों में बता दें कि, अब माल्या बैंकों को घोटाले की रकम लौटाना चाहता था, लेकिन बैंकों को लगता है कि, माल्या के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया होना जरूरी है।
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