Indian Credit-Debit Card Data Theft
Indian Credit-Debit Card Data Theft  Kavita Singh Rathore -RE
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भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड से हुआ महत्वपूर्ण डाटा चोरी

Author : Kavita Singh Rathore

हाइलाइट्स :

  • भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड से हुआ डेटा चोरी

  • ATM व POS में स्किमर लगाकर करते थे चोरी

  • सिंगापुर की संस्था ग्रुप IB द्वारा मिली जानकारी

  • ट्रैक-2 में उपलब्ध होता है महत्वपूर्ण डेटा

राज एक्सप्रेस। कई बार लोग ATM व POS मशीन द्वारा ट्रांजेक्शन करते हैं, लेकिन इस बात से अनजान रहते हैं कि, उनका डाटा भी चोरी (Card Data Theft) हो सकता है ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पता चला है कि, 13 लाख भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड से उनका डाटा चोरी हो गया है, इस बात का खुलासा सिंगापुर के एक आईबी सुरक्षा अनुसंधान (IB Security Research) द्वारा किया गया है।

सुरक्षा अनुसंधान ने बताया :

सिंगापुर के आईबी सुरक्षा अनुसंधान की एक टीम द्वारा बताया गया कि, डार्क वेब पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड ट्रांजेक्शन का एक बड़ा डेटाबेस सामने आया है जिसमें बहुत से लोगों का डाटा डब (चोरी) किया गया है जो, 'INDIA-MIX-NEW-01' के रूप में दो संस्करणों में पाया गया है जिनमे से पहला ट्रैक-1 और दूसरा ट्रैक-2 है। अनुसंधान ने यह भी बताया कि, जिन लोगों का डाटा चोरी हुआ है उनमें भारत के 13 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं के ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी शामिल है।

संस्था द्वारा दी गई जानकारी :

संस्था को पहले लगा था कि, ज्यादा महत्वपूर्ण ट्रैक-2 डेटा चोरी हुआ है जो, कार्ड के पीछे हिस्से में मैग्नेटिक स्ट्रिप में उपलब्ध होता है। जानकरी के लिए बता दें कि, इस स्ट्रिप में यूजर्स की प्रोफाइल और लेन-देन की सारी जानकारी उपलब्ध होती है। वहीं ट्रैक-1 डेटा में सिर्फ कार्ड का नंबर उपलब्ध होता है। जानकारी के अनुसार, इस डाटा में 98% डाटा भारतीय बैंकों और बाकि लंबियाई वित्तीय संस्थानों का है।

Screen shot shared by IB Security Research

संस्था ने शेयर किया स्क्रीन-शॉट :

इस संस्था ने एक स्क्रीन-शॉट भी शेयर किया है, जिससे साफ पता चलता है कि, हर एक कार्ड को 100 डॉलर (भारतीय करेंसी के अनुसार लगभग 7,092 रुपये) में बेचा जाता है, अगर हिसाब लगया जाये तो इस डेटा की कीमत लगभग 130 मिलियन डॉलर (लगभग 921.99 करोड़ रुपये) से भी ऊपर जाएगी। संस्था ने यह भी बताया कि, यह डाटा डार्क वेब पर बेची जाने वाली अब तक का सबसे महवपूर्ण वित्तीय जानकारी बानी हुई है। जेडडीनेट (ZDNet) द्वारा रिपोर्ट के अनुसार, बात का पता 28 अक्टूबर को चला था। शोधकर्ताओं ने पाया कि, यह डार्क वेब पर अपलोड किये गए डाटा का सबसे बड़े और कीमती डेटाबेस में से ही एक है।

ग्रुप-आईबी के CEO और संस्थापक इलिया सचकोव ने कहा कि,

'इस फिल्ड का डेटा अपलोड काफी दुर्लभ है, इस घटना की जानकारी अधिकारियों को दे दी गई है। अंडरग्राउंड बाजार में इस क्षेत्र से कार्ड बहुत दुर्लभ हैं। पिछले 12 महीनों में ये भारतीय बैंकों के कार्ड की जानकारी की सबसे बड़ी हैकिंग है, जो बाजार में बेची जा रही है। इस डेटाबेस की बिक्री के खतरे को भांपते हुए पहले ही इंटेलिजेंस द्वारा यूजर्स को सूचित कर दिया गया है।'
इलिया सचकोव

बैंकों से जुड़ी जानकारी सामने आना बाकी :

इस पूरी जानकारी पता चलने के बाद भी फिलहाल बैंकों से जुड़ी जानकारी सामने आना बाकी है कि, इसके लिए किन बैंकों से समझौता किया गया होगा। सायबर सुरक्षा कंपनी लगातार जानकारी जुटाने में लगी हुई है, हालांकि यदि कार्ड का दुरुपयोग करने में उपभोक्ता का कोई हाथ नहीं है तो, RBI के नियमों के अनुसार उन पैसों की भरपाई बैंक को करनी होगी।

फ्रॉड से बचने के कुछ उपाय :

  • कार्ड द्वारा किये गए बड़े लेन-देन को ग्राहक से बात करके क्लियर कर देना चाहिए।

  • ग्राहक से लेन-देन करने वाले कार्ड में एक सीमित मात्रा में ही पैसा रखना चाहिए।

  • असुरक्षित या फ्रॉड वेबसाइटों से बचे ऐसी वेबसाइटों पर लेन-देन न करें।

  • बिना जानकारी के अकाउंट से पैसा कटते ही उसकी जानकारी तुरंत पुलिस व बैंक को लिखित मे दें।

  • भारत का पेमेंट नेटवर्क आज भी कुछ हद तक असुरक्षित है, इसे संभाल कर इस्तेमाल करें।

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