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5,611 रुपए प्रति ग्राम के हिसाब से सोमवार से कीजिए Sovereign Gold Bond Scheme में निवेश

सरकारी स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) योजना में निवेशक सोमवार से फिर निवेश कर सकेंगे। पांच दिन के लिए खोले गए स्वर्ण बॉन्ड के लिए कीमत 5,611 रुपए प्रति ग्राम तय की गई है। यह योजना 10 मार्च तक जारी रहेगी।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस, नई दिल्ली। सरकारी स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) योजना में निवेशक सोमवार 6 मार्च से फिर से निवेश कर सकेंगे। 5 दिन के लिए खोली गई स्वर्ण बॉन्ड स्कीम के लिए कीमत 5,611 रुपए प्रति ग्राम तय की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने एक बयान में बताया है कि 2022-23 की चौथी श्रृंखला के तहत स्वर्ण बॉन्ड योजना खरीद के लिए छह मार्च से 10 मार्च के बीच उपलब्ध रहेगी। इसके लिए निर्गम मूल्य 5,611 रुपये प्रति ग्राम रखा गया है। भारतीय रिज्रव बैंक के बयान के अनुसार ‘ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम से स्वर्ण बांड के लिए आवेदन और भुगतान करने वाले निवेशकों के लिए निर्गम मूल्य 50 रुपये प्रति ग्राम कम रखा गया है। 

आनलाइन खरीद पर प्रति ग्राम पर 50 रुपए की छूट

आनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों के लिए स्वर्ण बांड का निर्गम मूल्य 5,561 रुपये प्रति ग्राम है। केंद्रीय बैंक दरअसल भारत सरकार की तरफ से स्वर्ण बॉन्ड जारी करता है। यह निवासी व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवार (एचयूएफ), न्यासों, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थाओं को ही बेचे जा सकते है। अधिकतम सीमा व्यक्तियों के लिए चार किलोग्राम, एचयूएफ के लिए चार किलोग्राम और न्यासों तथा समान संस्थाओं के लिए 20 किलोग्राम प्रति वित्त वर्ष है। सोने की भौतिक मांग को कम करने के इरादे से सबसे पहले गोल्ड बांड योजना नवंबर, 2015 में लाई गई थी।

2015 में शुरू की गई थी स्वर्ण बॉन्ड स्कीम

स्वर्ण बॉन्ड की अवधि 8 वर्ष होगी और 5वें, 6 वें और 7 वें साल में योजना से बाहर निकालने का प्रयोग ब्याज भुगतान की तारीखों पर किया जा सकता है। इस योजना के तहत न्यूनतम स्वीकार्य निवेश सीमा 1 ग्राम सोना हैं। निवेश की अधिकतम सीमा एकल वैयक्ति के लिए 4 किलो, हिंदु अविभाजित परिवार के लिए 4 किलोग्राम और ट्रस्टों और इसी तरह की संस्थाओं के लिए 20 किलोग्राम प्रत्येक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित की जाएगी। सरकार द्वारा नवम्बर 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम में शुरू की गई थी। सोने की भौतिक मांग को कम करने के इरादे से सबसे पहले गोल्ड बांड योजना नवंबर, 2015 में लाई गई थी।

रिजर्व बैंक जारी करता है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने में निवेश की सरकारी स्कीम है। भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। इसमें भौतिक रूप से सोने की खरीद के बजाय डिजिटल गोल्ड में निवेश की सुविधा होती है। सरकार ने 2015 में जब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना शुरू की तो इसके पीछे सरकार की मंशा यह थी कि सोना का भौतिक लेनदेन कम करते हुए सोने की वर्चुअल खरीद को प्रोत्साहित किया जाए। इससे कई लाभ हैं। एक तो इसमें चोरी का वैसा भय नहीं होता, जैसा कि गहनों आदि के मामले में होता है, इसके साथ ही धातु के रूप में इसका बिल्क्षकुल रण नहीं होता। इसके साथ ही, निवेश के रूप में इस योजना से अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है। 

फिजिकल गोल्ड- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में फर्क?

दरअसल, फिजिकल सोना खरीदने में कई दिक्कतें होती हैं। एक तरफ सोने की शुद्धता की फिक्र रहती है, तो दूसरी ओर सोना खरीदने और गहने बनवाने पर GST और मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है। स्वर्ण बॉन्ड GST के दायरे में नहीं आता, जबकि फिजिकल गोल्ड पर 3 फीसदी GST लगता है। घर में सोना रखने पर उसकी सुरक्षा की भी चिंता रहती है। सावरेन गोल्ड बांड पेपर फॉर्म में होता है, इसके रखरखाव पर कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता। यह बॉन्ड आरबीआई जारी करता है, इसलिए इसमें किसी तरह के फर्जीवाड़े की संभावना नहीं होती। इनका विवरण आरबीआई के बही-खाते में दर्ज रहता है या डीमैट खाते में रहता है, इस लिए इनकी सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं होती। निवेश के नजरिये से फिजिकल गोल्ड के मुकाबले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाना ज्यादा बेहतर है, क्योंकि बाजार में चाहे जितनी उथल- पुथल हो आपका कोई नुकसान नहीं होगा।

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