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16 बिस्किटों के पैकेट में एक कम होने पर कंज्यूमर कोर्ट ने आईटीसी पर लगाया एक लाख रुपए जुर्माना

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • आईटीसी के 16 बिस्किट वाले 'सन फीस्ट मैरी लाइट' के पैक में कम निकला एक बिस्किट

  • इस गलती को उपभोक्ता फोरम ने अक्षम्य बताया, कहा इस गड़बड़ी के लिए भरना होगा जुर्माना

राज एक्सप्रेस । चेन्नई की एक उपभोक्ता अदालत ने आईटीसी लिमिटेड को 16 बिस्किट वाले 'सन फीस्ट मैरी लाइट' के पैक में एक बिस्किट कम पैक करने के कारण आर्थिक दंड के रूप में एक लाख रुपये चुकाने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता अदालत ने आईटीसी से कहा कि वह चेन्नई के एक उपभोक्ता को मुआवजे के तौर पर एक लाख रुपये का भुगतान करे। दरअसल, एमएमडीए माथुर के पी दिल्लीबाबू ने चेन्नई के मनाली में एक स्टोर से दिसंबर 2021 में जानवरों को खिलाने के लिए दो दर्जन सन फीस्ट मैरी लाइट बिस्किट के पैकेट खरीदे। जब उन्होंने पैकेट खोला, तो उन्हें केवल 15 बिस्कुट मिले, जबकि रैपर पर 16 बिस्किट होने का दावा किया गया था। जब दिल्लीबाबू ने स्टोर से संपर्क किया, तो इसने इस पर गौर नहीं किया।

कंपनी ने गौर नहीं किया तो उपभोक्ता फोरम में की शिकायत

उन्होंने आईटीसी से संपर्क किया, वहां भी इस पर ज्यादा गौर नहीं किया गया। अंततः उन्होंने उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर दी। उन्होंने शिकायत में कहा आईटीसी लिमिटेड एक दिन में करीब 75 लाख पैकेट बनाती है, पैकेट के प्रत्येक बिस्किट की कीमत 75 पैसे है। पैकेट पर लिखे आंकड़ों की गणना से पता चलता है कि कंपनी इस तरह एक बिस्किट कम देकर प्रतिदिन जनता को 29 लाख रुपये से अधिक का चूना लगा रही है। जवाब में, कंपनी ने तर्क दिया कि उक्त उत्पाद केवल वजन के आधार पर बेचा गया था, न कि बिस्कुट की संख्या के आधार पर। बिस्कुट के पैकेट का विज्ञापित शुद्ध वजन 76 ग्राम था। हालांकि, जब आयोग ने इसकी जांच की, तो उन्हें पता चला कि सभी (15 बिस्कुट वाले) पैकेट का वजन केवल 74 ग्राम था।

उपभोक्ता फोरम ने आईटीसी पर लगाया जुुर्माना

उसके बाद आईटीसी के वकील ने तर्क दिया कि 2011 के लीगल मेट्रोलॉजी रूल्स प्री-पैकेज्ड कमोडिटीज के मामले में अधिकतम 4.5 ग्राम की स्वीकार्य त्रुटि की अनुमति देते हैं। हालांकि फोरम ने इस तर्क को भी नहीं माना और कहा कि इस तरह की छूट केवल अस्थिर प्रकृति के उत्पादों पर ही लागू होती है। यह बिस्कुट जैसी वस्तुओं पर लागू नहीं है, जिनका समय के साथ वजन कम नहीं होता है। इस बचाव को कि उत्पाद संख्या के आधार पर नहीं बल्कि वजन के आधार पर बेचा गया था उसे भी खारिज कर दिया गया, क्योंकि पैकेट पर बिस्किट के पैकेट पर बिस्किट की संख्या अंकित की गई थी। उसके बाद उपभोक्ता अदालत ने आईटीसी को निर्देश दिया कि वह अनुचित व्यापार प्रथाओं को अपनाने के लिए दिल्लीबाबू को मुआवजे के रूप में न केवल एक लाख रुपये का भुगतान करे, बल्कि बिस्कुट के उक्त बैच की बिक्री भी बंद करे।

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