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लखनऊ के गौरव ने नौकरी छोड़ शुरू किया कपड़े धोने का स्टार्टअप, पिछले साल की 116 करोड़ रुपए कमाई

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले गौरव निगम ने जब लावा की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्ट अप शुरू किया, तो किसी को भी उनकी यह योजना पसंद नहीं आई। कई लोगों ने तो उन्हें चेतावनी भी दी कि ऐसी गलती मत करना। पर लखनऊ के गौरव निगम ने उनकी बातों पर गौर नहीं किया और अपने जुनून को पूरा करने में जुट गए। आज वह एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। उन्होंने कपड़े धोने का जो स्टार्ट अप शुरू किया, वह आज देश के 180 से अधिक शहरों में फैल चुका है। उनके देश में 585 से अधिक स्टोर हैं और उनके स्टार्टअप ने पिछले साल 116 करोड़ रुपये का कारोबार किया है।

बचपन से ही थी बिजनेस करने की इच्छा

लखनऊ के गौरव निगम के मन में बचपन से ही बिजनेस की ओर जाने की इच्छा थी।लखनऊ के प्रसिद्ध ला मार्टिनियर स्कूल से बीकाम करने के बाद वह एमबीए की पढ़ाई के लिए पुणे चले गए। सिंबियोसिस से एमबीए पूरा करने के बाद उन्होंने एयरटेल में नौकरी कर ली। वहां 12 साल नौकरी करने के बाद वह मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी लावा में प्रोडक्ट हेड बन गए। वहां से नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने नवीन चावला के साथ मिल कर स्टार्टअप बनाया टम्बलड्राई। यह कंपनी देश भर में ड्राई क्लीन स्टोर चलाती है।

कैसे शुरू हुआ टम्बलड्राई

गौरव निगम जब लावा में प्रोडक्ट हेड थे, तब उन्हें हर महीने 15 दिन चीन में रहना होता था। इस दौरान वह रहते तो थे होटल में लेकिन उनके लिए कपड़े धुलवाना बड़ी समस्या थी। अपने कपड़े धुलवाने के लिए वह बड़ी मुश्किल से एक कम्यूनिटी ड्राइक्लीन स्टोर खोज पाए। इसी दौरान वहीं पहली बार दिमाग में आया कि क्यों न एक ड्राइक्लीनिंग का बिजनेस शुरू किया जाए। वह जब भारत लौटे तो उन्होंने ताज होटल, ओबराय होटल आदि के ड्राई क्लीनिंग विंग का अध्यययन किया। दुबई में भी ड्राई क्लीनिंग स्टोर का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने अपनी स्टोर चेन का खाका खींचा।

इस क्षेत्र में कोई स्थापित कंपनी नहीं

गौरव निगम ने बताया कि अधिकांश क्षेत्रों में बड़ी बड़ी कंपनियों का दबदबा रहता है, लेकिन ड्राईक्लीनिंग ऐसा क्षेत्र है, जो अभी भी असंगठित क्षेत्र में चल रहा है। इसलिए इसी क्षेत्र में हाथ आजमाने को सोचा। टम्बलड्राई बनाने से पहले उन्होंने काफी रिसर्च किया। कहां से ड्राईक्लीनिंग मशीनें आएंगी, कहां से स्टीम प्रेस की मशीन आएगी, कहां से कपड़ा धोने का केमिकल आएगा, इन सब बातों पर काफी रिसर्च किया गया। इसके बाद स्टोर के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया।

बेहतरीन टेक्नोलोजी का हो रहा प्रयोग

टम्बलड्राई की स्थापना के लिए दुनिया भर की बेहतरीन टेक्नोलोजी में से सबसे बेहतर का चुनाव किया गया। उन्होंने स्वीडन की कंपनी इलेक्ट्रोलक्स और स्पेन की कंपनी डोमस से मशीनें मंगवाई। इसकी मशीनें सबसे बेहतर होती है। इसी तरह स्टीम प्रेस के लिए इटली की कंपनी ट्रेविल (Trevil) से मशीनें मंगवाई। कपड़ा धोने के केमिकल के लिए बायो डिग्रेडेबल मैटेरियल को देखा गया। तब जा कर जर्मन कंपनी सेइट्ज का ड्राई क्लीनिंग केमिकल का चयन किया गया। इन्हीं का उपयोग कंपनी के देश भर में फैले स्टोरों में होता है।

चार साल में खोले 585 स्टोर

कंपनी को शुरू हुए अभी केवल चार साल ही हुए हैं, लेकिन इतने दिनों में ही कंपनी की पहुंच देश के 180 से भी अधिक शहरों में हो गई है। इस समय कंपनी के 585 ड्राईक्लीन स्टोर चल रहे हैं। इसमें हर रोज बढ़ोतरी हो रही है। गौरव निगम ने कहा वह अक्सर एक नया स्टोर खोल रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि शीघ्र ही इनके स्टोर की संख्या 600 के पार पहुंच जाएगी। जहां तक रेवेन्यू का सवाल है तो इनकी कंपनी अब अच्छी खासी कमाई करने लगी है। उनकी कंपनी ने पिछले साल 116 करोड़ रुपये की कमाई की थी।

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