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FPI ने मार्च में निवेश किए 11,500 करोड़, बैंक संकट के चलते भारत में निवेश घटा सकते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) ने इस महीने 17 मार्च तक भारतीय शेयर बाजारों में 11,49500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) ने 17 मार्च तक भारतीय इक्विटी में 11,495 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह फरवरी में 5,294 करोड़ रुपये और जनवरी में 28,852 करोड़ रुपये की निकासी के बाद आया है। इससे पहले दिसंबर में एफपीआई ने नेट करोड़ रुपये का निवेश किया था। विदेशी संस्थागत निवेशकों का यह निवेश जीक्यूजी पार्टनर्स के अडाणी समूह में बड़े निवेश के बाद आया है। हालांकि विशेषज्काञों का मानना है कि सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक जैसे अमेरिकी बैंकों के डूबने से आने वाले दिनों में विदेशी निवेशक इनवेस्टमेंट को लेकर सतर्क रुख अपना सकते हैं। उल्लेखनीय है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश या एफपीआई निवेश का वह माध्यम है, जिसमें निवेशक अपने देश के बाहर संपत्ति और प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इन निवेशों में स्टॉक, बॉन्ड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) या म्यूचुअल फंड शामिल हो सकते हैं। यह वह तरीका है, जिसके माध्यम से निवेशक किसी विदेशी अर्थव्यवस्था में सीधे हिस्लेसा सकते हैं।

2023 में एफपीआई ने 22,651 करोड़ के शेयर बेचे

शेयर बाजार के विशेषज्निञ और ख्यात निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार के अनुसार मार्च के महीने में विदेशी निवेशकों का इनवेस्टमेंट 4 अडाणी शेयरों में जीक्यूजी द्वारा 15,446 करोड़ रुपये के थोक निवेश में शामिल है। इसे छोड़कर, शेयरों में एफपीआई की गतिविधियों में बिकवाली मजबूत अंडरकरंट दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि 2023 में, एफपीआई ने 22,651 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। स्टाक मार्केट विशेषज्ञ हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय शेयर बाजारों में अब भी बेहतर संभावनाएं बनी हुई हैं, जिस वजह से विदेशी निवेशकों का आकर्षण आगे भी कामय रहने वाला है। हालांकि, कई अन्य देशों की तरह, भारत भी हाई इंफ्लेशन को देखते हुए रेट हाई साइकिल से गुजर रहा है, फिर भी इसे अन्य बाजारों की तुलना में मैक्रो स्थितियों के संबंध में अपेक्षाकृत बेहतर माना जाता है।

डेट मार्केट से एफपीआई ने निकाले 2,550 करोड़ रुपए

यह एक नकारात्मक संकेत है कि हाल के दिनों में भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों ने बडी मात्रा में अपनी पूंजी निकाली है। आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने डेट मार्केट से 2,550 करोड़ रुपये की निकासी की है। निवेश के मामले में, एफपीआई केवल पूंजीगत वस्तुओं के लगातार खरीदार रहे हैं। वित्तीय सेवाओं में, एफपीआई का रुझान अलग-अलग पखवाड़े में खरीद और बिक्री के बीच बदलता रहा है। शेयर बाजार विशेषज्ञ जयकुमार ने कहा चूंकि अमेरिका में कई बैंकों की विफलता के बाद बाजार में जोखिम का बोलबाला है, इसलिए निकट अवधि में एफपीआई की बड़े पैमाने पर खरीद की संभावना कम से कम मुझे नहीं दिख रही है। मेरी व्यक्तिगत राय यही है कि फेडरल रिजर्व की व्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत उन्हें शेयर बाजार में संकोच के साथ निवेश का दबाव बनाएंगे।

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