पिछले दो हफ्ते में 6% तक बढ़ी चीनी की कीमत
पिछले दो हफ्ते में 6% तक बढ़ी चीनी की कीमत Social Media
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पिछले दो हफ्ते में 6% तक बढ़ी चीनी की कीमत, कारण बना गन्ने का उत्पादन

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां लगभग हर एक फसल का उत्पादन बहुत बड़े स्तर पर किया जाता है। जिसके लिए अलग-अलग राज्य चुने गए हैं। यानी भारत के अलग-अलग राज्यों में तरह-तरह की खेती होती है। जैसा कि, सभी जानते हैं भारत में गन्ने का उत्पादन सबसे ज्यादा उत्तरा प्रदेश में होता है, लेकिन इन महीनों गन्ने का उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज हुई है। जिसके चलते चीनी की कीमत में बढ़त दर्ज हुई है।

चीनी की कीमत में गिरावट :

दरअसल, भारत में गन्ने के उत्पादन में दर्ज हुई गिरावट के चलते चीनी की कीमत में अपने आप बढ़ गई है और यह कीमतें बढ़कर पिछले दो हफ्ते में 6% तक बढ़ीं हैं। इसके अलावा ऐसा मन जा रहा है कि, यह कीमतें अभी थमने का नाम नहीं लेंगी क्योंकि, थोक ग्राहकों द्वारा की जा रही लगातार मांग को देखते हुए इनकी कीमत में और ज्यादा बढ़त दर्ज होने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, इससे एक फायदा यह होगा कि, गन्ने की खेती करने वाले किसानों को समय पर भुगतान मिलने में मदद होगी। इस मामले में सामने आई रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीनी के दामों में बढ़त दर्ज होने से इस क्षेत्र की कंपनियों के मूंफै में सुधार देखने को मिलेगा। इन कंपनियों में धामपुर, रेणुका सुगर, बलरामपुर चीनी, डालमिया भारत और द्वारिकेश जैसी कंपनियां हैं। ये सभी कंपनियां सही समय पर किसानों का बकाया भुगतान कर सकेंगी।

अनुमान में कटौती :

खबरों की मानें तो, भारत के महाराष्ट्र राज्य के लिए के चीनी के उत्पादन को लेकर लगाए गए अनुमान में कटौती कर दी गई है। लगाए गए अनुमान के मुताबिक, 30 सितंबर को समाप्त होने वाले विपणन साल 2022-23 में महाराष्ट्र 1.05 करोड़ टन चीनी उत्पादन कर सकता है। जबकि इससे पहले लगाया गया अनुमान 1.37 करोड़ टन का था। बताते चलें, चीनी की मांग बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि, गर्मी के मौसम में चीनी से बनने वाले कोल्डड्रिंक और आइसक्रीम जैसे पेय पदार्थ की मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा शादियों के सीजन में भी चीनी की खपत आमतौर की तुलना में ज्यादा होती है।

ट्रेडर्स और मिल मालिकों की अपील :

बताते चलें, चीनी की बढ़ती कीमत के बीच ट्रेडर्स और मिल मालिकों ने भारत सरकार से अपील की है कि, 'अरहर दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ा दिया जाए, जिससे किसान इसका ज्यादा-से-ज्यादा उत्पादन कर सकें। इस साल अरहर दाल के उत्पादन में गिरावट दर्ज हुई है। 

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