दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने जताया दूध की खरीद को लेकर अनुमान
दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने जताया दूध की खरीद को लेकर अनुमान Social Media
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किसानों के स्वामित्व वाली दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने जताया दूध की खरीद को लेकर अनुमान

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। जैसा की सभी जानते हैं कि, हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां कृषि के साथ ही दुग्ध उत्पादन भी बड़े स्तर पर होता है। इतना ही नहीं अब तो भारत में दुग्ध उत्पादक कंपनियों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इनमे से बहुत सी कंपनियां किसानों के स्वामित्व वाली हैं। वहीं, अब इन्हीं किसानों के स्वामित्व वाली दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने दूध की खरीद को लेकर अनुमान जताया है।

दूध की खरीद को लेकर उत्पादक कंपनियों का अनुमान :

दरअसल, किसानों के स्वामित्व वाली दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने दूध की खरीद को लेकर अनुमान जताया है। इस अनुमान के अनुसार, दुग्ध उत्पादक कंपनियों की दूध की खरीद तीन गुना से अधिक हो सकती है। इस बारे में जानकारी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन ने दी है। वह 12-15 सितंबर के दौरान ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में आयोजित किए गए आईडीएफ विश्व डेयरी सम्मेलन-2022 (IDF World Dairy Conference-2022) का हिस्सा बने थे और उन्होंने यह जानकारी वहीं, अपने संबोधन के दौरान दी थी। इसके अलावा NDDB ने बताया है कि, आने वाले पांच साल में कीमत के लिहाज से दूध की खरीद बढ़कर 18,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी।

NDDB के चेयरमैन ने दी जानकारी :

NDDB के चेयरमैन मीनेश शाह ने जानकारी देते हुए बताया है कि, 'दूध उत्पादक कंपनियों ने पिछले वित्त वर्ष में 5,575 करोड़ रुपये का दूध खरीदा और अगले पांच साल में यह आंकड़ा तीन गुना से अधिक होकर लगभग 18,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।' उन्होंने भरोसा दिलायाते हुए आगे कहा है कि, 'राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) अपनी इकाई NDDB डेयरी सर्विसेज के माध्यम से देशभर में और अधिक दुग्ध उत्पादक कंपनियों की स्थापना में मदद करेगी। स्टार्टअप की अवधारणा भले ही हाल ही में आई हो लेकिन दूध उत्पादक कंपनियां लंबे समय से काम कर रही हैं और ये असली स्टार्टअप हैं। 7,50,000 किसानों ने लगभग 20 उत्पादक-स्वामित्व वाली इकाइयां बनाई हैं। इनमें 70 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।'

उन्होंने आगे कहा कि, ‘‘पहले किसान संगठन की स्थापना के बाद से अबतक यह संख्या बढ़कर 20 हो गई है। कुल मिलाकर किसान सदस्यों को उनके द्वारा अपने संबंधित संगठन को आपूर्ति किए गए दूध के बदले में पिछले वित्त वर्ष (2021-2022) तक लगभग 27,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’’

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