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आरबीआई एक बार फिर स्थिर रख सकता है रेपो रेट 6 से 8 दिसंबर के बीच होगी एमपीसी की बैठक

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • रिजर्व बैंक ने पिछली चार एमपीसी बैठकों से स्थिर रखी हैं ब्याज की दरें।

  • उम्मीद है कि इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा केंद्रीय बैंक।

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 6 से 8 दिसंबर के बीच होने वाली है। एमपीसी बैठक की खबर सामने आने के बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि रिजर्व बैंक इस बार ब्याज दर में कदलाव करेगा या फिर पिछली चार बैठकों के निर्णय पर अमल करते हुए ब्याज दर को स्थिर रखने का निर्णय लेगा। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मई 2022 से अब तक रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) की वृद्धि कर चुका है। वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार यह लगातार पांचवीं मौद्रिक नीति समिति की बैठक होगी, जिसमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया जा सकता है।

माना जा रहा है कि 8 दिसंबर को होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय ले सकता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठकों की पिछली चार बैठकों में व्याज दरें नहीं बढ़ाई गई हैं । माना जा रहा है कि 8 दिसंबर को होने वाली एमपीसी बैठक में एक बार फिर से व्याज दरें स्थिर रखने का निर्णय लिया जा सकता है।

आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। फरवरी 2023 में हुई एमपीसी बैठक में रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था। इसके बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई ने मई 2022 से अब तक रेपो दर में 250 बेसिस प्वाइंट (2.50 फीसदी) की बढ़ोतरी की है।

विशेषज्ञों का कहना है कि 8 दिसंबर को होने वाली बैठक में रिजर्व बैंक ब्याज दरों को स्थिर रखने का विकल्प चुन सकता है। कंज्यूमर लोन पर जोखिम भार बढ़ाने के केंद्रीय बैंक के हालिया कदम से संकेत मिलता है कि ब्याज दरों में जल्द कटौती शुरू होने की उम्मीद नहीं हैं। इसका मतलब ये है कि भले ही दरों में कोई बढ़त न की जाए लेकिन ये लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बनी रहने वाली है।

विशेषज्ञों के अनुसार उम्मीद है कि आरबीआई की आगामी एमपीसी बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर स्थिर रखा जा सकता है। अक्टूबर में महंगाई में 4.7 फीसदी की गिरावट देखने में आई थी। ग्रोथ को प्रोत्साहन देने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। हालांकि, हाल ही में, रिजर्व बैंक ने सिस्टम में नकदी की उपलब्धता को नियंत्रित करने के लिए कंज्यूमर लोन पर जोखिम भार बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे इस अनुमान को बल मिलता है कि एमपीसी रेपो दर में कमी करने की संभावना नहीं है, बल्कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट को स्थिर रखने का प्रयास करेगा।

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