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आय कर में कोई राहत नहीं, 3 लाख तक आय पूरी तरह कर मुक्त, 87ए के तहत 7.5 लाख तक कर छूट

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • अंतरिम बजट में आम आदमी को आयकर से कोई राहत नहीं

  • आप के लिए उपलब्ध हैं इनकम टैक्स अदा करने के दो विकल्प

  • समझिए पुराने टैक्स स्लैब और नए टैक्स स्लैब में क्या है अंतर

राज एक्सप्रेस । केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पेश किए गए अंतरिम बजट में आयकर सीमा में आम आदमी को कोई राहत नहीं दी है। पुरानी टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने पर आपको अब भी 2.5 लाख रुपए तक की आय पर कर से छूट का लाभ मिलेगा। हालांकि आयकर एक्ट के सेक्शन 87ए के तहत आप 5 लाख रुपए तक की कुल आय पर कर बचा सकते हैं। जबकि, नई टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने पर पहले की तरह ही 3 लाख रुपए तक की आय पर आपको कोई कर नहीं अदा करना होगा। इसमें भी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87ए के तहत वेतनभोगी कर्मचारी 7.5 लाख रुपए तक आय पर जबकि अन्य लोग 7 लाख रुपए आय पर कर छूट पा सकते हैं।

इसे उदाहरण से समझने का प्रयास कीजिए

अगर यह बात सीधे समझ में नहीं आई, तो इसे उदाहरण से समझने का प्रयास कीजिए। कल्पना कीजिए आपकी सालाना आय 5 लाख रुपए है। आप जानते हैं कि पुराने टैक्स पैटर्न के हिसाब से 2.5 लाख रुपए तक की आय कर मुक्त है। इसका मतलब बाकी बचे 2.5 लाख रुपए पर आपको 5% के हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा। इसे सीधे रुपए में देखें तो आपको 12,500 रुपए कर के रूप में चुकाने होंगे। पर सरकार इस कर को आयकर एक्ट के सेक्शन 87ए के तहत माफ कर देती है।लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि यदि आपकी कमाई 5 लाख रुपए से एक रुपए भी ज्यादा है, तो आपको एक रुपए पर नहीं बल्कि पूरे ढाई लाख एक रुपए पर कर का भुगतान करना होगा। इसमें 2.5 लाख रुपए पर 5 फीसदी के हिसाब से 12,500 रुपए टैक्स देना होगा। जबकि, बचे हुए एक रुपए पर 20 फीसदी की दर से कर चुकाना होगा। इस तरह आपको कुल 12,501 रुपए राशि टैक्स केा रूप में टैक्स चुकानी होगी।

यह है पुराना टैक्स स्लैब और नया टैक्स स्लैब

2.5 लाख रुपए तक जीरो फीसदी टैक्स की दर रहेगी। 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक कर की दर 5 फीसदी रहेगी। 5 से 10 लाख इनकम पर कर की दर 20 फीसदी रहेगी। 10 लाख रुपए से अधिक आय पर 30 फीसदी की दर से कर का प्रावधान है। तीन लाख रुपए तक आय की स्थिति में आपको कोई कर नहीं देना होगा। 3 से 6 लाख तक इनकम पर आपको 5 फीसदी की दर से कर का भुगतान करना होगा। 6 लाख से 9 लाख तक आय होने की स्थिति में आपको 10 फीसदी कर का भुगतान करना होगा। 9 से 12 लाख तक 15 फीसदी की दर से व्याज लिया जाएगा। 12 से 15 लाख की आय पर 20 फीसदी की दर से आयकर की गणना की जाएगी। 15 लाख से अधिक आय पर 30 फीसदी आयकर देना होगा।

2020 में अस्तित्व में आया था नया टैक्स स्लैब

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय 2 विकल्प मिलते हैं। एक पहले से प्रचलन में था, जबकि नया ऑप्शन एक अप्रैल 2020 को अस्तित्व में आया । नए टैक्स स्लैब में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया गया, लेकिन इसमें टैक्स डिडक्शन छीन लिए गए। वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं। पुराने टैक्स रिजीम पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत 1,50,000 रुपए तक का डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा और भी कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा पुरानी रिजीम में लिया जा सकता है। एक और बड़ा अंतर यह है कि पुरानी रिजीम में सेक्शन 87ए के तहत रिबेट के बाद 5 लाख तक आय टैक्स फ्री होती है, जबकि नई रिजीम में 7.5 लाख तक की आय कर मुक्त होती है।

नई टैक्स रिजीम में 3 लाख की आय कर से मुक्त

मान लीजिए, किसी की सालाना इनकम 5 लाख रुपए है। नई टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री है। ऐसे में बचे हुए 2 लाख रुपए पर उस व्यक्ति पर 5% के हिसाब से टैक्स की देनदारी बनेगी। यानी, उसे 10,000 रुपए टैक्स चुकाना होगा। पर इस रिजीम में सरकार 7.5 लाख तक की इनकम पर टैक्स को सेक्शन 87ए के तहत माफ कर देती है। लेकिन इसमें एक मुश्किल यह है कि अगर आप वेतनभोगी हैं और आपकी कमाई 7.5 लाख रुपए से एक रुपए भी ज्यादा हुई तो आपको एक रुपए पर नहीं बल्कि 4,50,001 रुपए पर टैक्स चुकाना होगा। अब 3 लाख रुपए का टैक्स माफ होने के बाद बचे हुए 4,50001 रुपए में से 3 लाख रुपए पर 5% की दर से 15,000 रुपए और बाकी 1,50,001 रुपए पर 10% की दर से 15,000 रुपए चुकाने होंगे।

नए सिस्टम में वेतनभोगियों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ

यानी टैक्स की कुल देनदारी 30,000 रुपए बनेगी। यहां हम आपको ये भी बता दें कि जो लोग वेतनभोगी नहीं हैं उन्हें टैक्स डिडक्शन का फायदा 7 लाख रुपए रकम पर ही मिलता है। नए टैक्स सिस्टम में वेतनभोगी लोगों को 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा अलग से मिलता है, इसलिए उनकी 7.5 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री हो जाती है। उल्लेखनीय है कि पिछले दस सालों की अवधि में आयकर की छूट 1.80 लाख रुपए से बढ़कर तीन लाख रुपए हुई है। 2012-13 के बजट में इनकम टैक्स छूट को 1.80 लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया था। इसके बाद 2014-15 में इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया गया। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपए की गई है।

10 साल में आयकर छूट 1.80 लाख से हुई तीन लाख

इसके बाद केंद्र सरकार ने 2017-18 के बजट में आयकर की सीमा को 2.5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए की इनकम पर आयकर की दर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई थी। 2019-20 में 5 लाख रुपए तक की सालाना आय वाले व्यक्तियों को इनकम टैक्स के सेक्शन 87ए के तहत आयकर से पूरी तरह से मुक्त कर दिया गया था। इसके बाद 2020-21 के बजट में इनकम टैक्स के दो विकल्प दिए गए। इसमें तीन लाख रुपए की आय को आयकर से मुक्त रखा गया है। नई टैक्स रिजीम में कर में छूट का दायरा बढ़ाकर 7.5 लाख रुपए कर दिया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के 2 ऑप्शन मिलते हैं। इनमें दूसरा ऑप्शन एक अप्रैल 2020 को लागू किया गया था।

नए टैक्स स्लैब में टैक्स डिडक्शन की स्कीम खत्म

नए टैक्स स्लैब में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया गया, लेकिन इसमें टैक्स डिडक्शन छीन लिए गए। वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं।पुराने टैक्स रिजीम पर इनकम टैक्स एक्स के सेक्शन 80सी के तहत 1,50,000 रुपए तक का डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा और भी कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा पुरानी रिजीम में लिया जा सकता है। एक और बड़ा अंतर यह है कि पुरानी रिजीम में सेक्शन 87ए के तहत रिबेट के बाद 5 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री होती है, जबकि नई रिजीम में 7.5 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री हो जाती है।

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