तेल की कीमतें दो साल बाद पहुंची अपने उच्च स्तर पर
तेल की कीमतें दो साल बाद पहुंची अपने उच्च स्तर पर Syed Dabeer Hussain -RE
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तेल की कीमतें दो साल बाद पहुंची अपने उच्च स्तर पर

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन कारण देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, उस समय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन अब तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज की गई है। इस बढ़त के बाद दुनियाभर में तेल की कीमतें लगभग दो साल बाद अपने उच्च स्तर पर जा पहुंची है। बता दें, इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा और यह कीमतें आने वाले दिनों में आसमान छूती नजर आ सकती है।

तेल की कीमतें पहुंची उच्च स्तर पर :

दरअसल, पिछले साल लॉकडाउन के समय जब तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी तब भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल देखा गया था। तब से अब तक भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में ये खबर सामने आई है कि, दुनियाभर में तेल की कीमतें लगभग दो साल बाद अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यदि यह कीमतें नहीं थमी तो, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आने वाले दिनों में और भी अधिक बढ़त दर्ज की जा सकती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि, 'तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक और सहयोगी देशों द्वारा उत्पादन में कटौती को अप्रैल तक के लिए बढ़ाया गया है।

कीमतों में भारी उछाल :

बताते चलें, कि ओपेक और उसके सहयोगी तेल उत्पादन देशों ने कटौतियों के अपने-अपने मौजूदा स्तर में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया है। इससे वायदा बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इया प्रकार ब्रेंट क्रूड की कीमतें गुरुवार को 4.2 फीसदी यानी 2.67 डॉलर प्रति बैरल चढ़कर 66.74 पर पहुंच गई। वहीं अमेरिकी बाजार की बात करें तो यहां भी गुरुवार को कच्चे तेल का वायदा भाव 5.6 फीसदी ऊपर चढ़कर 64.70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा गया।

10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ोतरी का अनुमान :

बताते चलें, इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश ने पिछले महीने ही कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज होने का अनुमान जताया था। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना महामारी से थोड़ी राहत मिलने के बाद डिमांड अचानक से बढ़ गई है, लेकिन तेल उत्पादक समूह ओपेक+ और ईरान की ओर से तेल उत्पादन में कटौती लगातार की जा रही है। बता दें, वर्तमान समय में दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक सऊदी अरब रोजाना 10 लाख बैरल की कटौती कम से कम अप्रैल तक जारी रखेगा, लेकिन ईएसआई उम्मीद है कि, रूस और कजाकिस्तान तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकता है।

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