“Oyo” की नीतियों से पार्टनर क्यों चिंतित?
“Oyo” की नीतियों से पार्टनर क्यों चिंतित? Social Media
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“Oyo” की नीतियों से पार्टनर क्यों चिंतित?

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स :

  • Oyo की योजना का पार्टनर्स को सुराग नहीं!

  • Oyo में छंटनी से होटल के साथी चिंतित!

  • होटेलियर्स कम्युनिकेशन न होने से परेशान

राज एक्सप्रेस। ऑनलाइन होटल बुकिंग सर्विस में तेजी से बड़ा नाम बनकर उभरे ओयो (Oyo) का सिरदर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में जहां "सॉफ्टबैंक ज्वेल इन इंडिया" के आंतरिक मामलों में “टॉक्सिक कल्चर” के आरोप लगे थे वहीं अब Oyo के पार्टनर्स होटल संचालकों ने गंभीर आरोप लगाकर मुसीबत बढ़ा दी है।

पहली परेशानी-

अव्वल तो होटेलियर्स को Oyo में तेजी से की जा रही छंटनी की चिंता है, वहीं होटेलियर्स का कहना है Oyo का वन-वे कम्युनिकेशन सवाल खड़े कर रहा है। होटल व्यवसायी साफ कहते हैं कि, ग्राहकों संग करार की किसी समस्या की दशा में Oyo कंपनी के जिम्मेदार प्रतिनिधियों से संपर्क साधने में परेशानी हो रही है।

Oyo की सफाई-

ओयो ने भुगतान वापस लेने, अत्यधिक कमीशन और भागीदारों के अन्य आरोपों से इनकार किया है। साथ ही कहा कि इन आरोपों में स्थिति के सभी पक्षों का मूल्यांकन नहीं हो पाया। गौरतलब है कि कई होटल पार्टनर्स ने सॉफ्टबैंक समर्थित कंपनी में की जा रही नौकरी में कटौती पर चिंता जताई है। साथ ही पार्टनर्स का कहना है कि क्लाइंट-फेसिंग रोल मामलात में भी Oyo की ओर से कोई संवाद नहीं हो पा रहा।

प्रतिनिधि से संपर्क नहीं-

बिजनेस जगत की रिपोर्ट्स के मुताबिक होटलियर्स ने कहा है कि, जिनके साथ बिजनेस कर रहे हैं उस कंपनी Oyo के प्रतिनिधियों से लाख जतन करने पर भी संपर्क करने में असमर्थ हैं। जबकि इस बारे में ओयो का कहना है कि वो सभी क्षेत्रों में अपने परिसंपत्ति मालिकों के साथ निरंतर संचार की प्रक्रिया में है, साथ ही पुनर्गठन का नया दौर चल रहा है।

लगातार बदलता स्टाफ-

होटल मालिकों ने कहा कि उनके पास बताने के नाम पर एक स्याही की ही पहचान रही! जब Oyo कंपनी के कर्मचारी एकाएक बदल रहे थे, तो उनकी चिंता बढ़ना भी लाजिमी है।

मुंबई में डंकन रोड पर स्थित होटल के मालिक के मुताबिक- “ओयो कभी भी एक साथी की तरह व्यवहार नहीं करता है। हमने बहुत सारे निवेश किए हैं और वे एक साझेदार के बजाय एक कर्मचारी की तरह व्यवहार करते हैं।“
मोहम्मद अंसार, Oyo पार्टनर, होटल अंबर पैलेस, मुंबई

बकौल अंसार-

“हम मीडिया रिपोर्टों से सुन रहे हैं कि कंपनी के कई कर्मचारियों को कंपनी से जाने के लिए कहा गया है, लेकिन उन्होंने हमसे कुछ भी नहीं कहा है। पिछले दो-तीन दिनों से मैं व्यावसायिक विकास विंग से संपर्क करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन वे हमारे फोन नहीं उठा रहे।“

Oyo की राय-

हालांकि Oyo के एक प्रवक्ता ने कहा कि यदि कोई सवाल है, तो कंपनी की कई टीमें जमीनी स्तर पर Oyo पार्टनर्स से संपर्क साध कर उसके समाधान की दिशा में तत्पर हैं। प्रवक्ता के मुताबिक को-ओयो ऐप (CO-OYO app), ओयो ओएस (OYO OS) के साथ ही पार्टनर सपोर्ट लाइन वो अन्य चैनल्स हैं जिसके जरिए किसी भी तरह के प्रश्नों के लिए संपर्क साधा जा सकता है। प्रवक्ता ने दावा किया कि, कंपनी के पास सभी उपकरणों से लैस समर्पित पोर्टफोलियो मैनेजर्स हैं, जो किसी भी सवाल या मुद्दे का निदान करने में सक्षम हैं।

बेंगलुरु में ओयो के तहत दो होटल वाले हरीश ने कहा कि, उन्होंने सुना है कि, कंपनी अपना ढांचा बदल रही थी, लेकिन कंपनी ने उनसे इस बारे में बात नहीं की। होटल व्यवसायी ने हालांकि दो में से एक होटल का नाम बताया लेकिन कहा कि, पहले वो ओयो के संग 14 होटलों की व्यवस्था में शामिल रहे।

हरीश कहते हैं-

“उन्हें हमें सूचित करना चाहिए। वे हमें नए लॉन्च, अन्य देशों के विस्तार पर अपडेट करते हैं लेकिन कंपनी की ओर से इस मामले पर कोई खबर नहीं है। यह भी तो हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।”

ओयो के बारे में पढ़ें- ओयो को क्यों पेश करना पड़ी सफाई-

बेचा हुआ टैग-

पुणे में ख्यात होटल के मालिक के मुताबिक- "मैंने उनके कर्मचारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वे फोन नहीं उठा रहे।" "मैं (ओयो के साथ समझौता) छोड़ना चाहता हूं, लेकिन वे मेरी संपत्ति पर एक बेचा हुआ टैग लगा देंगे, जैसा कि वे अन्य लोगों के साथ कर रहे हैं, इससे मेरे नियमित ग्राहक नहीं आएंगे।”

उन्होंने कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा "होटल भागीदारों के संग कंपनी के व्यवहार पारदर्शी नहीं है। उन्हें संवाद की आवश्यकता है। कर्मचारी हर दूसरे सप्ताह बदलते हैं और प्रत्येक स्टाफ सदस्य हमसे अलग राशि की मांग करता है और फिर वे गायब हो जाते हैं।”

इनके अपने अनुभव-

जबलपुर में मदन-महल स्टेशन क्रमांक तीन के पास स्थित ओयो पार्टनर एक होटल के साझेदार के मुताबिक- “हम कोशिश करते हैं कि ग्राहक से ओयो के बजाए नकद लेनदेन होटल स्तर पर हो ऐसे में हम कंपनी से हिसाब-किताब करने के पचड़े से बच जाते हैं हमें तो मतलब हमारे सम्मानीय कस्टमर से है।”

जबकि मदन महल स्टेशन क्रमांक एक के पास स्थित होटल के पार्टनर के मुताबिक “हमारा ओयो के साथ दो साल पहले करार था लेकिन अनुभव कड़वे रहे और हमने अनुबंध समाप्त कर निजी स्तर पर कामकाज जारी रखना ठीक समझा।”

बिक्री, आपूर्ति और संचालन जैसे सीधे ग्राहकों से जुड़े मामलातों में यह आशंका पहले से ही जताई जा रही थी कि Oyo में इस बारे में काफी सवाल उठेंगे।

प्यास लगने पर खोदा कुआं-

ओयो में पार्टनर ने जब सवाल उठाए तो फिर कंपनी ने भी अब पार्टनर से सतत संपर्क की व्यवस्था पर फोकस करने की बात कही है।

ओयो प्रवक्ता के अनुसार- “साल 2020 में, कंपनी का एसेट पार्टनर्स के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने पर "रेजर-शार्प" फोकस है। साथ ही कंपनी मार्जिन कम करने वाले विकास के बजाए लाभदायक इमारतों को प्राथमिकता देगी।”

प्रवक्ता के मुताबिक- “हमने हाल ही में गुड़गांव में अपना पहला पार्टनर-सपोर्ट सेंटर लॉन्च किया है और जल्द कई शहरों में इस तरह की सुविधाएं मिलेंगी।”

"हम ओयो को सही तरीके से विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम आचार संहिता का उचित अनुपालन और पालन सुनिश्चित करने के लिए नियमित बाहरी ऑडिट कराते हैं।”
ओयो प्रवक्ता

प्रस्ताव का इंतजार-

गुड़गांव के ओयो पार्टनर ने कहा- “सोशल मीडिया के माध्यम से छंटनी के बारे में सुना है। “हमारे पास कंपनी के साथ भुगतान पर कई मौजूदा मुद्दे हैं। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। “अगर बदलाव बेहतर हैं, तो हम इसे जारी रखना चाहेंगे। आखिरकार, हमें व्यापार करना है। उन्हें अच्छे प्रस्तावों के साथ आना होगा।”

ओयो के संग पार्टनर कई होटल कारोबारी, संचालक फिलहाल होटल की गुडविल की चिंता के चलते ओयो के बारे में खुलकर कहने से बचते नजर आए, लेकिन बातों से इतना जरूर निकलकर आया है कि, लेनदेन और सेवा शर्त करार को लेकर ओयो और पार्टनर्स के बीच सब कुछ फिलहाल ठीक नहीं चल रहा।

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