ट्रेन लेट से छूटी फ्लाइट तो रेलवे देगा हर्जाना
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रेलवे रखेगा हवाई यात्रियों का ध्यान, ट्रेन लेट होने से छूटी फ्लाइट तो देगा हर्जाना

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। भारतीय रेलवे हमेशा से ही अपने यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखती आई है। इसी के चलते समय-समय पर कई नई-नई सुविधाओं की पेशकश करती आई है। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस सुविधा के माध्यम से रेलवे हवाई यात्रियों की भी सुविधा का ध्यान रखेगी। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को लेकर एक अनोखा फैसला लेते हुए आदेश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का अनोखा फैसला :

दरअसल, भारत में ट्रेनों का लेट होना बहुत ही नार्मल बात है, देश में चलने वाली ट्रेनों में हर दिन कम से कम 2-3 हर दिन ट्रेन लेट होती ही हैं। यह ट्रेन कई बार कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक भी लेट हो जाती हैं। ऐसे में अगर किसी को ट्रेन से किसी जगह फ्लाइट पकड़ना हो तो उसकी फ्लाइट छूटने का डर बना रहता है। इससे उस यात्री को काफी नुकसान भी होता है, लेकिन अब इस नुकसान की चिंता यात्री की जगह रेलवे करेगा। क्योंकि, अबसे यदि किसी यात्री की ट्रेन लेट होने के कारण फ्लाइट छूटती है तो, उसका मुआवजा रेलवे देगा। यह अहम फैसला देश के सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए लिया है।

क्या है मामला ?

बताते चलें, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक मामले की सुनवाई करते हुए लिया है। इस मामले के तहत एक शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा इसलिए खटकाया था क्योंकि, उसकी जम्मू से श्रीनगर की फ्लाइट अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस ट्रेन 4 घंटे लेट हो जाने की वजह से छूट गई थी। इस शिकायतकर्ता के हक़ में फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को 30 हजार रुपए हर्जाना देने को तो कहा ही साथ ही बड़ा फैसला सुनते हुए कहा कि, 'रेलवे ट्रेन के देरी से आने के कारणों का सबूत नहीं देती और ये साबित नहीं करती कि देरी उनके नियंत्रण से बाहर के कारणों के चलते हुई, तो रेलवे को ट्रेन के देरी से पहुंचने के लिए मुआवजे का भुगतान करना होगा।'

नॉर्दन रेलवे को देना होगा खर्च :

खबरों की मानें तो, मुआवजे का आदेश मूल रूप से जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम, अलवर द्वारा पारित किया गया था और इसके बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली ने भी इस मुहर लगाई थी, लेकिन नॉर्दन रेलवे ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने यह फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद नॉर्दन रेलवे को 15 हजार रुपए टैक्सी खर्च के तौर पर, 10 हजार रुपए टिकट खर्च और 5 हजार रुपए मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में देने के आदेश दिए गए हैं। ट्रेन लेट होने के चलते शिकायतकर्ता को फ्लाईट छूटने से 9 हजार रुपए का नुकसान हुआ। जबकि टैक्सी किराये पर 15 हजार रुपए और डल झील में शिकारा की बुकिंग के 10 हजार रुपए की हानि हुई।

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