कोरोना काल के त्योहारी सीजन में RBI के इस बड़े फैसले से ग्राहकों को झटका
कोरोना काल के त्योहारी सीजन में RBI के इस बड़े फैसले से ग्राहकों को झटका Social Media
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कोरोना काल के त्योहारी सीजन में RBI के इस बड़े फैसले से ग्राहकों को झटका

Author : Priyanka Sahu

हाइलाइट्स :

  • त्योहारी सीजन में ग्राहकों को नहीं मिला तोहफा

  • रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

  • चालू वित्त वर्ष में एकोमोडेटिव रूख बना रहेगा

  • चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5% की गिरावट का अनुमान

राज एक्‍सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की 3 दिवसीय बैठक आज 9 अक्‍टूबर को समाप्त हो गई है, इस दौरान रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया। इस बैठक में लिए गये निर्णयों के इस बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विस्‍तार से पूरी जानकारी साझा की।

RBI के फैसले से ग्राहक निराश :

कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में हुई गिरावट और त्योहारी सीजन के मद्देनजर ये उम्मीद थी की मांग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कमी होगी, लेकिन आज शुक्रवार को जब शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ने जो ऐलान किया, उससे ग्राहकों को निराशा हाथ लगी है। दरअसल, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया कि, ''रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा, ये 4% पर बरकरार रहेगी। एमपीसी की सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली।''

समिति के नए सदस्यों का किया स्वागत :

इस दौरान आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति के नए सदस्यों का स्वागत कर उनका आभार प्रकट किया। इसके बाद आगे उन्‍होंने कहा, हाल में आए आर्थिक आंकड़ों से अच्छे संकेत मिले हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी के मजबूत संकेत मिले हैं। कई देशों में मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल बिक्री में रिकवरी देखने को मिली है। साथ ही खपत और निर्यात में भी कई देशों में सुधार दिखा।

RBI गवर्नर द्वारा कहीं गई प्रमुख बातें :

  • चालू वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में जीडीपी में वृद्धि की उम्मीद है। हम बेहतर भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। सभी सेक्टर्स में ग्रोथ देखने को मिल रही है। 

  • मैं आशावादी हूं। तीसरी तिमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में असमान रूप से ही लेकिन रिबाउंड देखने को मिला है।

  • वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही का गहरा संकुचन पीछे छूट चुका है। अब फोकस रिवाइवल पर है। भारत कोरोना वायरस से पहले की वृद्धि के आंकड़े को छू सकता है।

  • जीडीपी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक संकुचन के रास्ते से हटकर फिर से वृद्धि के रास्ते पर आ सकती है।

  • वित्त वर्ष की पहली छमाही के धीमे सुधार को दूसरी छमाही में गति मिल सकती है, तीसरी तिमाही से आर्थिक गतिविधियां बढ़ने लगेंगी।

  • चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था निणार्यक चरण में प्रवेश कर रही है।

  • देश में रबी फसलों का आउटलुक बेहतर दिख रहा है।

  • जीडीपी वृद्धि का अनुमान निगेटिव में 9.5 फीसदी रखा गया है। सितंबर माह में पीएमआई बढ़कर 56.9 हो गया, जो जनवरी 2012 के बाद से सबसे अधिक है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उधार की औसत लागत 5.82 फीसदी पर है, जो 16 साल में सबसे कम है।

  • छोटे कर्जदारों के लिए 7.5 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दे दी गई है।

  • केंद्रीय बैंक द्वारा नए हाउसिंग लोन पर रिस्क वेटेज को कम कर दिया गया है। 

  • साथ ही संकट के समय में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के मद्देनजर दिसंबर 2020 से आरटीजीएस को 24 घंटे लागू करने का प्रस्ताव है।

  • केंद्रीय बैंक का ध्यान फाइनेंस को आसान बनाने और वृद्धि पर है, जिस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अगले हफ्ते 20,000 करोड़ रुपये का ओपन मार्केट ऑपरेशन यानी OMO होगा। OMO के तहत केंद्रीय बैंक सरकारी सिक्योरिटी और ट्रेजरी बिल की खरीद और बिक्री करते हैं। भारत में यह काम आरबीआई करता है। आरबीआई देश की अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन करता है।

  • केंद्र सरकार के लिए WMA (वेस एंड मीन्स एड्वांसेस) की सीमा 1.25 लाख करोड़ रुपये रखी गई है।

  • मार्च 2021 तक एक लाख करोड़ का ऑन-टैप TLTRO उपलब्ध होगा। इसे रेपो रेट से जोड़ा जाएगा।

  • सभी एनबीएफसी और एचएफसी को सह-ऋण देने की योजना का विस्तार करिया जाएगा।

  • केंद्रीय बैंक तरलता और आसान वित्त स्थितियों के लिए बाजार सहभागियों को आश्वस्त करने के लिए आवश्यक सभी उपाय करने के लिए तैयार है।

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