अगले साल तक आपके बीच होगा RBI समर्थित डिजिटल रुपी
अगले साल तक आपके बीच होगा RBI समर्थित डिजिटल रुपी Syed Dabeer Hussain - RE
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अगले साल तक आपके बीच होगा RBI समर्थित डिजिटल रुपी

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। आज देश में लोग डिजिटल करेंसी के नाम पर सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी को ही जानते हैं। जो कि, लगातार चर्चा में बनी रहती है, लेकिन इसे भारत में बहुत ज्यादा मान्यता नहीं है और जबकि, कुछ देशों में तो यह पूरी तरह से बैन है। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के ऐलानों के दौरान डिजिटल करेंसी की बात भी की थी। वहीं, अब यह खबर सामने आई है कि, भारत में अगले साल RBI के समर्थन में डिजिटल रुपी लांच किया जाएगा।

अगले साल भारत में लांच होगी डिजिटल रुपी :

आपको शायद यह खबर सुनकर भरोसा न हो, लेकिन यह सही है कि, अगले साल यानि 2023 तक भारत में खुद की रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) समर्थित डिजिटल करेंसी (रुपी) होगी। क्योंकि, भारत में अगले साल यानी 2023 में डिजिटल करेंसी की शुरुआत होने जा रही है। वर्तमान समय में यह उपलब्ध प्राइवेट कंपनी के संचालन वाले ई-वॉलेट की तरह ही कार्य करेगी। बता दें, यह पूरी तरह से लीगल होगी और इसके साथ यूजर्स को सरकार की गारंटी भी मिलेगी। वित्तमंत्री ने 2022-23 के बजट में इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि, "जल्द ही आरबीआई के समर्थन वाली डिजिटल रुपी पेश की जाएगी।"

RBI द्वारा किया जाएगा भुगतान :

अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार, भारत में लांच होने के बाद यह डिजिटल करेंसी लोगों को फोन और RBI के पास ही रहेगी। ग्राहक को जब भी इसका भुगतान करना होगा तो उसकी तरफ से केंद्रीय बैंक यानी RBI द्वारा ही किसी को इसका भुगतान किया जाएगा। हालांकि, इस भुगतान पर भी सरकार की गारंटी पूरी तरह होगी।

अधिकारी ने दी जानकारी :

इस मामले में RBI के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया है कि, "डिजिटल रुपी पारंपरिक मुद्रा से अलग नहीं होगी। इस पर भारतीय मुद्रा की तरह खास तरह के अंक होंगे। यह फिएट मुद्रा से अलग नहीं होगी बल्कि उसका डिजिटल स्वरूप होगी। सरकार की ओर से जारी की जाने वाली करेंसी को फिएट मुद्रा कहते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि डिजिटल रुपी सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा। डिजिटल रुपी 2022-23 के अंत तक तैयार हो जाएगा। ब्लॉकचेन आधारित यह मुद्रा निजी कंपनियों की पेश किए जाने वाले मोबाइल वॉलेट की मौजूदा प्रणाली के विपरीत सभी लेनदेन का पता लगाने में सक्षम होगी। निजी कंपनियों के ई-वॉलेट का इस्तेमाल करते हुए लोग उन कंपनियों को पैसे हस्तांतरित करते हैं। यह पैसा उनके पास रहता है और कंपनियां किसी लेनदेन पर ग्राहकों की ओर से दुकानदारों को भुगतान करती हैं।"

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