हाइलाइट्स :
दिसंबर 2019 की खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी
मुद्रास्फीति में तेजी से महंगाई दर ने तोड़ा 5 साल का रिकॉर्ड
दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.35% के स्तर पर पहुंची
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति में उछाल
राज एक्सप्रेस। बढ़ती महंगाई एक गंभीर समस्या है, जिसके कारण पॉकेट पर पैसों के खर्चे का बोझ बढ़ जाता है और महंगाई देश के लिए एक बड़ा आर्थिक संकट है। हाल ही में बीते वर्ष दिसंबर के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े सामने आए हैं, जो मंदी की रफ्तार कम करने वाली अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा मुश्किलें पैदा करने वाले हैं।
क्या है खुदरा मुद्रास्फीति के आकंड़े?
सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी हुए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा मुद्रास्फीति की दर बीते वर्ष 2019 के दिसंबर माह में उच्च्तम स्तर के साथ 7.35% पर पहुंच चुकी है, जो लगभग पांच साल में सबसे अधिक बताई जा रही है। साथ ही देखा जाए तो खुदरा महंगाई दर उन्हीं स्तरों पर आ गई है, जब मोदी सरकार वर्ष 2014 में सत्ता में आई थी। अब मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान ऐसा पहला मौका है कि, खाने-पीने की चीजों के दाम में अधिक तेजी देखने को मिली।
खुदरा महंगाई दर का कारण :
देखा जाएं तो इस बार सब्जियों की कीमत कुछ ज्यादा ही अधिक रही है और सबसे ज्यादा प्याज की कीमत में बढ़ोतरी होने के कारण दिसंबर में खुदरा महंगाई दर अधिक प्रभावित हुई है। आइये देखें दिसंबर 2019 में खुदरा मुद्रस्फीति के आंकड़े सब्जियों-फल की क्या कीमत थीं...
सब्जियों की मुद्रस्फीति दर 60.5%
फलों की मुद्रस्फीति दर 4.45%
धान एवं संबंधित उत्पाद की मुद्रस्फीति दर 4.36%
दालें एवं संबंधित उत्पाद की मुद्रस्फीति दर15.44%
मांस-मछली की मुद्रस्फीति दर 9.57%
अंडेे की मुद्रस्फीति दर 8.79%
मसाले की मुद्रस्फीति दर 5.76%
बिजली-ईंधन की मुद्रस्फीति दर 0.70%
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट समीर नारंग का यह कहना है कि, ''खुदरा महंगाई दर अगले तीन महीनों में 6% और इसके बाद के तीन महीनों में 5% तक आ जाएगी। सब्जियों के दाम अभी से गिरने लगे हैं। उम्मीद है कि दो-तीन महीनों के भीतर खाद्य महंगाई सुविधाजनक स्तर तक आ जाएगी। आरबीआई 6 फरवरी को जब अपनी सालाना मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा, तब महंगाई पर यथास्थिति बनाए रखेगा।''
खाद्य महंगाई का सबसे ज्यादा असर आम आदमी पर पड़ेगा। लेकिन, यह मौसमी घटना है और अगले 2-3 महीने में यह कम हो जाएगी। अगर महंगाई कम करने की बात है, तो आने वाले बजट से किसी को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए।क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डीके जोशी
इसके अलावा खुदरा महंगाई दर पर अर्थशास्त्रियों ने यह कहा है कि, ''सही वक्त पर ध्यान नहीं दिया गया, तो देश मुद्रास्फीतिजनित मंदी (स्टैगफ्लेशन) में जा सकता है।''
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।