Russia and Saudi Arabia oil producer Agreement
Russia and Saudi Arabia oil producer Agreement Social Media
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तेल उत्पादक को लेकर रूस और सऊदी अरब के बीच हुआ समझौता

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। कच्चे तेल के शीर्ष उत्पादक देश सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर चल रही लड़ाई अब खत्म हो चुकी है। इसी के साथ ओपेक प्लस (OPEC+) देशों के संगठन और रूस के बीच समझौता हुआ है। इस समझौते के बाद सऊदी अरब में कच्चे तेल की कीमतें रविवार को 1 डॉलर प्रति बैरल बढ़ा दी गई है।

अमेरिका में क्रूड ऑयल की कीमत :

बताते चलें, अमेरिकन WTI क्रूड ऑयल की कीमत 23 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गई है। वहीं, लंदन के ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत की बात करें तो वह 32 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंची। इसके अलावा तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC+ और उसके साथ के उत्पादक देशों और रूस के बीच चल रही लड़ाई के खत्म होने के साथ ही इन देशों के बीच समझौता हो गया है। इस समझौते में अमेरिका भी शामिल हैं। बताते चलें, इस समझौते के लिए तैयार न होने वाले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी अब इस समझौते के लिए हामी भर दी है।

यह हुआ समझौता :

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते पूरे देश में आर्थिक मंदी का माहौल है, वहीं क्रूड ऑयल को लेकर कई देशों के बीच जंग चल रही थी, जो अब समाप्त हो गई है। जिन देशों के बीच यह जंग चल रही थी, उन देशों के बीच में इस बात को लेकर सहमति बनी है कि, 'उत्पादन में रिकॉर्ड कटौती की जाएगी।' जिससे कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सके। हालांकि, यह समझौता वैश्विक सप्लाई में कच्चे तेल में 20% की गिरावट का कारण बन सकता है।

हाल ही में बढ़ाई थी कीमतें :

बताते चलें, हाल ही में रूस और सऊदी अरब ने तेल उत्पादन की कीमतें बढ़ाई थी और यह दोनों ही देश इन कीमतों को लगातार बढ़ा रहे थे। जिससे कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आ रही थी और इसलिए ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल के आसपास तक पहुंच गई थी। गौरतलब है कि, कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण दुनिया भर में कच्चे तेल की मांग में काफी कमी दर्ज की गई है।

अमेरिका ने बनाया दबाव :

इस समझौते के अनुसार, OPEC+ देश इस साल मई और जून के महीने तक कच्चे तेल के उत्पादन में 97 लाख बैरल प्रतिदिन तक की कटौती करेंगे। खबरों के अनुसार, इस सहमति को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप लगातार दबाव बनाने में लगे हुए थे, ताकि तेल की कीमतों में गिरावट पर रोक लग सके। इस दबाव का मुख्य कारण यह था कि, अमेरिका को भी लगाता नुकसान का सामना करना पड़ रहा था। इस बारे में संगठन ने बताया है कि, 1 मई से कुल वैश्विक उत्पादन में दो करोड़ बैरल प्रतिदिन 20% की कटौती हो सकती है।

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