Subhas Garg, former finance secretary
Subhas Garg, former finance secretary Raj Express
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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर भारतीय स्टेट बैंक की कार्रवाई पूरी तरह गैरकानूनी और अप्रत्याशितः गर्ग

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • पूर्व वित्त सचिव ने चुनावी बॉन्ड को लेकर भारतीय स्टेट बैंक को निशाने पर लिया

  • चुनावी बॉन्ड के यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक नंबरों को रिकॉर्ड करना ठीक नहीं

  • ऐसा करके भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने दानदाताओं के भरोसे को तोड़ा

राज एक्सप्रेस । चुनावी बॉन्ड को लेकर पूरे देश में घमासान जारी है। इस बीच पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने चुनावी बॉन्ड को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को निशाने पर लिया है। उन्होंने इस मामले में भारतीय स्टेट ऑफ बैंक की कार्रवाई को पूरी तरह गैरकानूनी और अप्रत्याशित बताया है। एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में गर्ग ने कहा कि बैंक को चुनावी बॉन्ड के यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक नंबरों को रिकॉर्ड नहीं किया जाना चाहिए था। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है। ऐसा करके बैंक ने दानदाताओं के भरोसे को तोड़ा है।

पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने कहा कि ऐसा करके उसने (एसबीआई) ने चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 के तहत दानदाताओं से किए गए गुमनामी के वायदे तो तोड़ा है। बांड नंबरों से बॉन्ड खरीदने वालों और उन्हें भुनाने वाले राजनीतिक दलों का मिलान करने में मदद मिल सकती है। गर्ग ने कहा कि चुनावी बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या को रिकॉर्ड करके एसबीआई ने उस योजना की मूल विशेषता पर प्रहार किया है जो 2018 में सरकार के जरिए गुमनाम राजनीतिक दान को सक्षम करने के लिए लाई गई थी।

सुभाष गर्ग ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के संबंध में एसबीआई के माध्यम से दायर पहला हलफनामा पूरी तरह से गलत था। उन्होंने कहा एसबीआई के पहले हलफनामे में दानकर्ताओं और पार्टियों की जानकारी भौतिक रूप में दो जगह में रखे जाने की बात कही थी। लेकिन बाद की घटनाओं से पता चला कि उन्होंने जानकारी को डिजिटल रूप में दर्ज की थी। उनका पहला हलफनामा लोकसभा चुनावों से परे डेटा के खुलासे को आगे बढ़ाने की इच्छा से प्रेरित प्रतीत होता है।

गर्ग ने सवाल किया कि असल सवाल यह है कि उन्होंने झूठा हलफनामा क्यों दाखिल किया, इसके पीछे बैंक की क्या मंशा थी ? पूर्व वित्तसचिव सुभाष गर्ग का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसबीआई द्वारा पेश किए गए संपूर्ण चुनावी बॉन्ड डेटा प्रकाशित करने के कुछ दिनों बाद आया है। ताजा डेटा में अल्फा-न्यूमेरिक नंबर शामिल हैं। चुनावी बॉन्ड बेचने और भुनाने के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक एसबीआई था। बॉन्ड पहली बार मार्च 2018 में जारी किए गए थे। 15 फरवरी को इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य घोषित कर दिया था।

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