Supreme court seeks response from central government on Vijay Mallya's extradition case
Supreme court seeks response from central government on Vijay Mallya's extradition case Kavita Singh Rathore -RE
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माल्या के प्रत्यर्पण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए शराब कारोबारी और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या कोरोना संकट के बीच एक बार फिर चर्चा में हैं। भारत सरकार विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले में हर संभव कोशिशे कर रही है, लेकिन इस मामले में अब भारत सरकार को इंग्लैंड के हाईकोर्ट की अनुमति का इंतज़ार है।

विजय माल्या का प्रत्यर्पण मामला :

दरअसल, कई कोशिशों के बावजूद भी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले में सरकार को सफलता हासिल नहीं हो सकी है। इस असफलता को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रही है। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इस जवाब के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 हफ्ते का समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना :

बताते चलें, माल्या के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि, 'वह ब्रिटेन में भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या को भारत को प्रत्यर्पित किए जाने सबंधी कार्यवाही पर 6 सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट दायर करें।'

विदेश मंत्रालय ने बताया :

गौरतलब है कि, विजय माल्या को लेकर हो रही कार्यवाही के दौरान पिछली सुनवाई 5 अक्टूबर को हुई थी। इस सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई दलीलों में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि, 'विजय माल्या के प्रत्यर्पण का मामला अब खत्म हो चुका है। ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए आदेश दिए थे, लेकिन इन आदेशों के बाद भी आगे कोई सही कार्यवाही नहीं हो सकी है। खबरों की मानें, तो इस मामले में ब्रिटेन में कुछ गुप्त कार्यवाही जारी है, जिस के बारे में भारत को जानकारी नहीं है। शायद यही कारण है कि, भारत को माल्या के प्रत्यर्पण में देरी की जा रही है।

जस्टिस ललित का कहना :

जस्टिस ललित ने सहगल से कहा था कि, वह अदालत को जानकारी दें कि, उनका मुवक्किल शीर्ष अदालत के समक्ष कब दलील पेश करेगा, ताकि अदालत की अवमानना के लिए सजा पर सुनवाई उनकी उपस्थिति में की जा सके, जिसके लिए वह पहले ही दोषी पाए जा चुके हैं।

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