वैल्यूएशन के चलते रुक गई Bisleri की डील पर Tata से चल रही चर्चा
वैल्यूएशन के चलते रुक गई Bisleri की डील पर Tata से चल रही चर्चा Social Media
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वैल्यूएशन के चलते रुक गई Bisleri की डील पर Tata से चल रही चर्चा

Kavita Singh Rathore

Bisleri Deal : आज बिसलेरी (Bisleri) बस एक नाम नहीं है, लोग पानी की बोतल को ही Bisleri के नाम से जानते हैं। हाल ही में भारत की सबसे पॉपुलर पैकेज्ड वाटर कंपनी 'बिसलेरी' (Bisleri) के बिकने की खबर सामने आई थी। जिसे Tata Group की कंपनी 'टाटा कंज्यूमर' (Tata Consumer) के 7000 करोड़ रुपए में खरीदने की खबर थी। फिलहाल यह डील ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है। क्योंकि, दोनों के भी हुई इस डील पर चल रही बातचीत रुक गई है।

रुक गई Bisleri की डील पर चल रही चर्चा

दरअसल, पिछले दिनों Tata Group की कंपनी Tata Consumer और भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी Bisleri के बीच बड़ी डील होने की खबर आई थी। इसको लेकर बातचीत चल रही थी, वहीँ, अब खबर है कि, दोनों कंपनियों के बीच चल रही चर्चा अब रुक गई है। इस बातचीत के रुकने का कारण वैल्यूएशन है। खबरों की मानें तो, Bisleri के मालिक की इस डील को लेकर योजना से लगभग 1 बिलियन डॉलर जुटाने की थी। इस मामले में जानकारी ब्लूमबर्ग द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट से सामने आई है।

मात्र 27 साल की उम्र में की थी पेशकश :

जानकारी के लिए बता दें, Bisleri कंपनी के मालिक रमेश चौहान ने इस कंपनी को साल 1969 में मात्र 4 लाख रुपए में खरीदा था। 82 साल के रमेश चौहान को अपनी बेटी जयंती द्वारा Bisleri के कारोबार में दिलचस्पी न दिखाने पर उन्हें Bisleri को बेचने का फैलसा लेना पड़ा था। पिछले साल अगस्त में खबर आई थी कि, रमेश चौहान अपना Bisleri इंटरनेशनल को बेचने जा रहे हैं। मिनरल वाटर ब्रांड 'Bisleri' को भारत में बड़ी पहचान दिलाने वाले रमेश चौहान ने मात्र 27 साल की उम्र में भारतीय बाजार में बोतलबंद मिनरल वाटर की पेशकश की थी। बता दें, प्रीमियम नेचुरल मिनरल वाटर ब्रांड 'वेदिका' (Vedika) भी रमेश चौहान ने ही शुरू किया है। इतना ही नहीं Thumsup, Gold Spot, Citra, Maaza और Limca जैसे कई ब्रांड की शुरुआत भी उन्होंने ही की थी।

कंपनी को बेचने का कारण :

Bisleri कंपनी के मालिक रमेश चौहान ने कंपनी को बेचने का कारण भावुक होते हुए बताया था कि, "मेरे लिए कंपनी बेचने का फैसला आसान नहीं था। जिस कंपनी को मैंने बच्चे की तरह पाला उसे मरने नहीं दे सकता, लेकिन मेरे पास कोई उत्तराधिकारी नहीं है, जो इस कंपनी को आगे ले जा सके। मेरी बेटी जयंती इस कारोबार में खास दिलचस्पी नहीं रखती है। मैं इस कंपनी को मरने नहीं देना चाहता, इसलिए मुझे इसे बेचने का फैसला लेना पड़ा।"

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