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यूपीआई यूजर्स को मिलेगी क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधा, खाते में पैसे नहीं फिर भी कर सकेंगे रोजमर्रा के भुगतान

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। आज के समय में डिजिटल लेनदेन लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रायः सभी लोग फोन पे, गूगल पे, पेटीएम जैसे यूपीआई ऐप्स का रोजाना के लेनदेन में इस्तेमाल करते हैं। सुबह-सुबह दूध की थैली से लेकर बिस्किट के पैकेट और ब्रेड-बटर खरीदने तक अब कोई नकद भुगतान नहीं करता। ये सभी पेमेंट अब यूपीआई से किए जाने लगे हैं। यही वजह है कि देश में यूपीआई ट्रांजेक्शन्स की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। कोरोना महामारी के दिनों में लोग डिजिटल पेमेट्स पर ज्यादा निर्भर हो गए थे। अब यह हम सभी के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने भी यूपीए को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। इसके अनुसार यदि आपके खाते में पैसे नहीं हैं, तो भी आप यूपीआई से भुगतान कर सकेंगे। आपको आपकी जरूरत की राशि आपके खाते में क्रेडिट कर दी जाएगी और इससे आप अपने तुरंत के भुगतान आसानी से कर सकेंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि आपका यूपीआई एकाउन्ट ही क्रेडिट कार्ड की तरह काम करने लगेगा।

खाते में पैसे नहीं, फिर भी कीजिए खरीदारी

यदि आपके अकाउंट में पैसा नहीं है, तो भी आपको क्रेडिट मिल जाएगा और आप आपने रोजमर्रा के भुगतान कर पाएंगे। बिलकुल वैसे ही, जैसे क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की किया जाता है। इसका मतलब यह है कि अब आपका यूपीआई ही क्रेडिट कार्ड की तरह काम करने लगेगा। आपको किसी से भी उधार मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ओवरड्रॉफ्ट फैसिलिटी का इस्तेमाल यूपीआई पेमेंट्स के लिए किए जाने से यूजर्स को बहुत लाभ मिलेगा । इसका मतलब, अगर किसी अकाउंट होल्डर को ओवरड्रॉफ्ट की सुविधा मिली है, तो वह इस क्रेडिट लाइन का इस्तेमाल यूपीआई पेमेंट के लिए कर सकता है। कोई यूजर किस सीमा में इस क्रेडिट लाइन का इस्तेमाल कर सकेगा, यह बाद में तय किया जाएगा।

बैंक तय करेंगे क्या होगी प्री-अप्रूव्‍ड क्रेडिट

इस निर्णय सेल डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) जैसे विकल्‍पों को और आकर्षक बनाने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत यूपीआई पर यूजर्स को क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधा मिलेगी। बैंकों की ओर से यूजर्स को पूर्व स्‍वीकृत राशि दी जाएगी, जिसका इस्‍तेमाल खाते में पैसे नहीं होने पर भी किया जा सकेगा। सरकार चाहती है कि देश में ज्यादा से ज्यादा लेनदेन डिजिटल हों और नकद लेनदेन को क्रमशः सीमित किया जाए। पेटीएम, फोनपे या गूगलपे जैसे ऐप इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को अब प्री-अप्रूव्‍ड क्रेडिट लाइन दी जाएगी। यह राशि बैंकों या वित्‍तीय संस्‍थान की ओर से तय होगी।

क्या होती है प्री-अप्रूव्‍ड क्रेडिट लाइन

यूजर्स प्री-अप्रूव्‍ड क्रेडिट लाइन के तहत तय की गई राशि का इस्‍तेमाल तब कर सकेंगे, जब उनके खाते में पैसे नहीं होंगे। इस पहल से यूपीआई ऐप्स की लोकप्रियता को बढ़ावा मिलेगा। बैंको द्वारा निर्धारित की जाने वाली प्री-अप्रूव्‍ड क्रेडिट लाइन किसी यूजर के लिए बैंक द्वारा निर्धारित की गई वह राशि होती है, जिसे वह खाते में पैसे नहीं होने के बाद भी विभिन्न भुगतानों में इस्तेमाल कर सकता है। बैंक और वित्‍तीय संस्‍थान यूजर की आमदनी और कर्ज चुकाने की क्षमता का आकलन करके यह क्रेडिट लाइन तैयार करेंगे। एक तरह से यूपीआई पर ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधा दी जाएगी, जिसका ग्राहक जरूरत पड़ने पर इस्‍तेमाल कर सकेंगे और फिर पैसे आने पर ब्याज समेत चुका देगा।

इस सुविधा के एवज में चुकाना होगा कुछ ब्याज

इसका मतलब साफ है कि इस सुविधा के एवज में बैंक आपसे कुछ ब्‍याज चुकाना होगा। बैंक हर ग्राहक की जोखिम क्षमता का आकलन करके ही प्री-अप्रूव्‍ड क्रेडिट लाइन तैयार करेंगे। आंकड़े बताते है्ं कि आजकल भारत में यूपीआई के माध्‍यम से सबसे अधिक भुगतान किए जा रहे हैं। इसने खुदरा लेनदेन का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है। यही वजह है कि बैंकों ने अपने उत्‍पादों और सुविधाओं को विकसित करने के क्रम में यूपीआई में य़ह नई सुविधा जोड़ने का निर्णय लिया गया है। आरबीआई की एमपीसी बैठक में यूपीआई से क्रेडिट कार्ड को जोड़ने की भी अनुमति दी गई है। फिलहाल यूजर्स रूपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ सकेंगे।

यूपीआई से रोजाना होता है 36 करोड़ का लेनदेन

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) के आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपीआई के जरिये कुल 8.7 अरब लेनदेन किए गए और सालाना आधार पर इसमें 60 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। बीते 12 महीने का आंकड़ा देखें तो प्रतिदिन औसतन 36 करोड़ रुपए का लेनदेन यूपीआई के जरिये किया गया है। यह आंकड़ा फरवरी, 2022 में हुए 24 करोड़ लेनदेन से 50 फीसदी ज्‍यादा है। यही वजह है कि बैंकिंग वाचडाग आरबीआई ने अब यूपीई की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए यूपीआई खाता-धारकों को क्रेडिट लाइन देने की अनुमति दी है।

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