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कोरोना वायरस: 18,552 संक्रमित मरीज मिले, 384 लोगों की संक्रमण से मौत

Author : राज एक्सप्रेस

कोरोना वायरस : समाज और सरकार के दोनों स्तर पर जब बराबरी से काम होगा, तभी कोरोना वायरस का संक्रमण पस्त हो पाएगा। देश में अनलॉक-2 की तैयारी शुरू हो गई है। बाजार पूरी तरह खुल चुके हैं और कोरोना का डर लोगों में लगभग न के बराबर है। मगर देश में कोरोना संक्रमण के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि महामारी का कहर थमने वाला नहीं है। अब तो मरीजों की संख्या का आंकड़ा 18 हजार को पार करता जा रहा है। पिछले एक दिन में 18,552 संक्रमित मरीज मिले हैं। जबकि 384 लोगों की संक्रमण के चलते मौत हुई है। संक्रमितों की संख्या पांच लाख पहुंच गई है। इसमें से दो लाख 82 हजार मामले एक जून के बाद के हैं। महामारी से हुई मौतों का आंकड़ा भी 15 हजार के पार निकल चुका है। रोजाना बढ़ते आंकड़े चिंता पैदा करने वाले हैं। पिछले एक हते में लगभग एक लाख मामलों का सामने आना महामारी विशेषज्ञों की इस भविष्यवाणी की पुष्टि करता है कि जुलाई में संक्रमण की स्थिति अपने उच्चतम पर होगी। हालात बता रहे हैं कि बीमारी को फैलने रोकना है तो हर स्तर पर कोरोना से मिलकर निपटना होगा व ज्यादा जोर बचाव के उपायों पर देना होगा।

सरकारों के स्तर पर प्रयास के साथ ही नागरिकों और सामुदायिक स्तर पर भी कोशिशें करनी होगी। महामारी से निपटने के लिए जिस तरह से काम होना चाहिए, वह हो नहीं पा रहा है और इसका नतीजा संक्रमितों को भुगतना पड़ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पहले के मुकाबले अब देश भर में संक्रमितों की जांच के काम में तेजी आई है और एक दिन में दो लाख जांच होने का रिकार्ड भी बन चुका है। इसलिए संक्रमितों की तादाद तेजी से बढ़ऩा स्वाभाविक है। इसके बावजूद कुछ हद तक संतोषजनक बात यह है कि भारत में मरीजों के स्वस्थ होने की दर भी बढ़ी है। लेकिन चिकित्सकों के सामने अभी बड़ी चुनौती बिना लक्षण वाले मरीजों को लेकर बनी हुई है। आंध्र प्रदेश में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत नया रहस्य बनकर आई है। चिंता का एक विषय यह भी है कि पिछले तीन महीने में देश के कई हिस्सों से जो करोड़ों श्रमिक पलायन करके अपने गांवों को लौटे हैं, अगर उनकी समुचित जांच नहीं हुई तो संक्रमण कहीं व्यापक स्तर पर फैल न जाए। ऐसा होने पर हालात से निपटने के लिए हमारे पास संसाधन कम पड़ सकते हैं।

यह पूरे देश के स्वास्थ्य तंत्र की विडंबना है कि ज्यादातर अस्पताल शहरी इलाकों में हैं। इसलिए राज्य सरकारों को चाहिए कि वे कोरोना से निपटने के लिए अब अपने स्तर पर कार्य योजनाएं बना कर उन पर कारगर तरीके से अमल करें और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान दें। व्यावहारिक तौर पर देखें तों महामारी से निपटने में बड़ी अड़चन अस्पतालों में अव्यवस्था को लेकर आ रही है। मुश्किल यह है कि ज्यादातर अस्पताल, खासतौर से निजी अस्पताल मरीजों को आसानी से भर्ती नहीं कर रहे हैं। कोरोना का संक्रमण ऐसा है, जो किसी एक के करने से दूर नहीं होगा। समाज और सरकार दोनों स्तर पर जब बराबरी से काम होगा, तभी संक्रमण पस्त होगा।

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