घट्टिया की वह शाखा जहां हुआ गबन
घट्टिया की वह शाखा जहां हुआ गबन राज एक्सप्रेस, संवाददाता
क्राइम एक्सप्रेस

सहकारी बैंक में गबन कांड : कलेक्टर के पास पहुंची जांच रिपोर्ट, तीन साल से चल रहा था खेल

राज एक्सप्रेस

उज्जैन, मध्यप्रदेश। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की घट्टिया शाखा में करीब 80 लाख रुपयों के गबन के मामले में चौंकाने वाले राज सामने आए हैं। पिछले तीन-चार सालों से ये मामला चल रहा था। फोरेंसिक जांच के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है।

गबन सामने आने के बाद से बैंक प्रशासन में हलचल मची हुई है। शाखा के कैशियर को बदला जा चुका है। छह दोषियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कलेक्टर आशीषसिंह के पास जांच रिपोर्ट पहुंच गई है। संभावना है गुरुवार को प्रशासन कार्रवाई के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से गबन का ये खेल चल रहा था। तब से लेकर अब तक कई फर्जी खातेदारों के नाम से पैसा बीजीएल खाते में डालकर निकाला जाता रहा। इस तरह 2021 तक गबन की राशि 75 से 80 लाख रुपए के बीच आ गई। कलेक्टर आशीषसिंह इस मामले में जल्द ही कड़ा कदम उठा सकते हैं।

गबन उजागर होने के बाद घट्टिया शाखा के कैशियर सुमेरसिंह परिहार को हटाया जा चुका है। मामले में प्रशासक व संयुक्त पंजीयक बीएल मकवाना की भूमिका पर भी उंगली उठी है। इस गबन से बैंक की साख को बट्टा लगा है। शाखा में बैंक मैनेजर सहित 2 ऑपरेटर व दो चपरासी पदस्थ हैं।

एक मैनेजर कर चुके खुदकुशी :

जिला सहकारी बैंक के अधीन 30 शाखाएं हैं। माकड़ौन शाखा के मैनेजर लालसिंह पिता अन्तरामसिंह ने कुछ समय पहले खंडेलवाल नगर स्थित अपने निवास पर खुदकुशी बकर ली थी। किसानों को दिए कर्ज और वसूली में 15 करोड़ रुपए का अंतर आने पर दिवंगत मैनेजर लालसिंह को नोटिस जारी किया गया था।

सबसे पहले राज एक्सप्रेस में खुलासा :

गबन का यह मामला सबसे पहले राज एक्सप्रेस ने उजागर किया था। 4 सितंबर को लाखों रुपये का गबन, जांच में जुटा प्रबंधन शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। 7 सितंबर को 80 लाख रुपयों के करीब गबन होने का खुलासा भी किया गया।

फर्जी खातों से किया खेल :

  • 2019 से 2020 के बीच खातेदारों के नाम से किया गया घोटाला।

  • जांच रिपोर्ट में बैंक ऑपरेटरों की भूमिका भी संदिग्ध।

  • फोरेंसिक जांच की भी तैयारी।

  • अभी और चौंकाने वाले खुलेंगे राज।

  • बीजीएल हेड, जिसमें वो पैसा रखा जाता है, जिसका मिलान नहीं हो पाता।

  • इसी हेड में पैसा रखते गए और खेल दबे-छिपे चलता रहा।

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