Ajay Devgan Interview
Ajay Devgan Interview Kavita Singh Rathore -RE
सेलिब्रिटी

किताबों में तानाजी के बारे में ज्यादा नहीं लिखा गया है - अजय देवगन

Author : Pankaj Pandey

राज एक्सप्रेस। पिछला साल अभिनेता अजय देवगन के लिए शानदार रहा था। उनकी फिल्में टोटल धमाल और दे दे प्यार दे ने 100 करोड़ से भी ज्यादा का बॉक्स ऑफिस पर बिजनेस किया था। इस साल की शुरुआत में ही अजय देवगन की फ़िल्म तानाजी द अनसंग वारियर रिलीज के लिए तैयार है और अजय भी फ़िल्म को प्रमोट करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले दिनों अजय देवगन से उनकी फिल्म को लेकर काफी बातचीत हमने की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...

आपने तानाजी के बारे में किताबों में कितना पढ़ा है?

देखिए, किताबों में तानाजी के बारे में आपको ज्यादा पढ़ने को नहीं मिलेगा क्योंकि उनके बारे में आपको कुछ किताबों में कुछ पन्ने या फिर एक छोटा पैराग्राफ मिलेगा। जिस तरह की लड़ाईयां और सक्रिफाइज तानाजी ने किया था, उस लिहाज से सिर्फ कुछ पैराग्राफ उनकी महानता के साथ इंसाफ नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि ब्रिटिश ने जान बूझकर उनकी महानता को किताबों से दूर रखा। इसलिए हमने फैसला किया कि हम ऑडिएंस को उनकी वीर गाथा के बारे में बताएंगे। मुझे नहीं लगता कि मेरे बच्चों ने या फिर आज कल के बच्चों ने भी तानाजी के बारे में पढ़ा होगा।

अपने को-स्टार सैफ अली खान के बारे में क्या कहेंगे ?

सैफ के साथ जब भी मैं फ़िल्म करता हूं, मुझे बहुत मजा आता है। उदयभान के किरदार के लिए सैफ परफेक्ट चॉइस थे और मुझे नहीं लगता कि, उनसे बेहतर कोई और एक्टर इस किरदार को इतनी अच्छी तरह निभा पाता, जितना अच्छा सैफ ने किरदार को निभाया है। उस किरदार के लिए जिस तरह का पागलपन और एनर्जी चाहिए थी, वो सिर्फ सैफ ही ला सकते थे। हमें उदयभान के किरदार के लिए ऐसा एक्टर चाहिए था, जो तानाजी के सामने मर्द लगे और सैफ फ़िल्म में मर्द लग रहे हैं।

आपने इससे पहले भगतसिंह का किरदार निभाया था और अब तानाजी का किरदार निभाया है, दोनों ही किरदार में कितना डिफरेंस महसूस करते हैं?

मुझे लगता है कि मेरे दोनों ही किरदार में किसी भी तरह का डिफरेंस नहीं है। दोनों ही फ्रीडम फाइटर थे। दोनों की आइडियोलॉजी, देश के प्रति प्यार और त्याग करने की हिम्मत सब कुछ एक जैसा था। दोनों ही किरदार मेरे दिल के भी काफी करीब है।

फ़िल्म को मराठी में भी डब किया गया है, यह किसका फैसला था ?

यह किसी का फैसला नहीं था बल्कि हमें महाराष्ट्र के कई सेक्शन ऑफ ऑडियंस से यह डिमांड आई कि वो सभी यह फिल्में मराठी में देखना चाहते हैं। तब जाकर हमने यह फैसला लिया क्योंकि किसी भी हिंदी फिल्म को मराठी में डब करना मना है। वैसे, मैं खुद भी इसे गलत मानता हूं क्योंकि अगर सभी हिंदी फिल्में मराठी में डब होने लगी तो मराठी फिल्मों का क्या होगा, उन फिल्मों को कौन देखेगा।

क्या हम इस साल को आपके लिए बायोपिक ईयर कह सकते हैं ?

जी, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह सिर्फ एक इत्तेफाक है कि इस साल मेरी आने वाली सभी फिल्में बायोपिक हैं। फिर चाहे वो भुज द प्राइड ऑफ इंडिया हो या फिर मैदान हो। यह मैंने प्लान नहीं किया था, लेकिन अब मैं इस बीच कोई और फ़िल्म करके इस लाइनअप को जरूर तोड़ने की कोशिश करूंगा।

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