Aakhir Palaayan Kab Tak Review
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Aakhir Palaayan Kab Tak Review : हिंदू-मुस्लिम नफरत को दिखाती है आखिर पलायन कब तक

Pankaj Pandey

स्टार कास्ट - राजेश शर्मा, चितरंजन गिरी, गौरव शर्मा

डायरेक्टर - मुकुल विक्रम

प्रोड्यूसर - सोहनी कुमारी, अलका चौधरी

स्टोरी

फिल्म की कहानी उत्तराखंड में स्थित मुस्लिम बाहुल्य इलाके में रहने वाले सुनील बिष्ट (राजेश शर्मा) की है जो कि अपनी पत्नी और दो बच्चे रोहित (गौरव शर्मा) और तान्या (सोहनी कुमारी) के साथ रहता है। मुस्लिम बाहुल्य इलाका होने के कारण धीरे-धीरे इलाके के हिंदू अब अपना घर बेचकर भाग रहे हैं। लोगों को भागता देख रोहित भी पिता सुनील को बोलता है कि हम लोगों को भी यह इलाका छोड़ देना चाहिए लेकिन सुनील बेटे रोहित को समझाता है कि हम यहां से नहीं जाएंगे क्योंकि हम यहां काफी सालों से रह रहे हैं। इसी बीच स्थानीय नेता बदरुद्दीन (धीरेंद्र द्विवेदी) चुनाव जीत जाता है। बदरुद्दीन यह फैसला करता है कि इलाके का कोई भी मुस्लिम हिंदू सुनील बिष्ट की दुकान से सामान नहीं लेगा और इलाके के अन्य मुस्लिम लड़के सुनील की बेटी तान्या को भी छेड़ना शुरू कर देते हैं। फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और मुस्लिम समुदाय का एक बोर्ड सुनील बिष्ट की जमीन पर अवैध कब्जा भी कर लेता है और इस घटना के कुछ दिनों बाद ही सुनील बिष्ट का बेटा रोहित लापता भी हो जाता है। अब सुनील बिष्ट के बेटे रोहित के लापता होने के पीछे किसका हाथ है और क्या रोहित लापता नहीं बल्कि उसका मर्डर भी हो चुका है। इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेंगे।

डायरेक्शन

फिल्म को राइट और डायरेक्ट मुकुल विक्रम ने किया है और उनका डायरेक्शन ठीक है। फिल्म का स्क्रीनप्ले ठीक है लेकिन सेकंड हाफ में स्क्रीनप्ले और भी बेहतर किया जा सकता था। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी औसत दर्जे की है। फिल्म का म्यूजिक अच्छा नहीं है और फिल्म के एक भी गाने कैची नहीं हैं। फिल्म की एडिटिंग भी और बेहतर की जा सकती थी और फिल्म के डायलॉग भी ठीक हैं।

परफॉर्मेंस

परफॉर्मेस की बात करें तो फिल्म के लीड हीरो राजेश शर्मा ने ठीक काम किया है। फिल्म के कुछ इमोशनल सीन्स में उनकी एक्टिंग बढ़िया है। गौरव शर्मा ने भी ठीक काम किया है। मीडिया रिपोर्टर के रोल में चितरंजन गिरी ने भी अच्छा काम किया है। सोहनी कुमारी और भूषण पट्टीयाल ने भी सराहनीय काम किया है। फिल्म में विलेन के रोल में धीरेंद्र द्विवेदी ने बढ़िया काम किया है। फिल्म के बाकी कलाकारों का काम औसत दर्जे का है।

क्यों देखें

आखिर पलायन कब तक रियल इंसीडेंट्स पर बनी एक ठीक-ठाक फिल्म है। फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि एक मुस्लिम जिस आजादी से हिंदू समाज के लोगों के बीच रहता है और हिंदू समाज के लोग उसे जिस तरह की आजादी देते हैं, उस तरह की आजादी किसी हिंदू को मुस्लिम समाज के लोगों के बीच नहीं मिलती है बल्कि मुस्लिम समाज के लोग हिंदू समाज के लोगों को परेशान करके उनकी जमीन और घर हड़प लेते हैं। आखिरकार अंत में हिंदुओं को मुस्लिम बाहुल्य इलाका छोड़कर भागना ही पड़ता है। अगर आप भी हिंदू-मुस्लिम नफरत को दिखाती एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म देखना चाहते हैं तो यह फिल्म जरूर देखें।

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