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Chup Review : ठीक-ठाक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है चुप

Pankaj Pandey

स्टार कास्ट : दुलकर सलमान, सनी देओल, श्रेया धनवंतरी

डायरेक्टर : आर बाल्की

प्रोड्यूसर : राकेश झुनझुनवाला, जयंतीलाल गड़ा, गौरी शिंदे

स्टोरी :

फिल्म की कहानी डैनी (दुलकर सलमान) की है, जिसकी मुंबई में एक फूलों की दुकान है। डैनी की दुकान में एक दिन नीला (श्रेया धनवंतरी) ट्यूलिप फूल लेने आती है जो कि पेशे से एक एंटरटेनमेंट पत्रकार है। पहली ही नजर में डैनी और नीला एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ शहर में कोई सीरियल किलर है, जो फिल्मों के रिव्यू करने वाले क्रिटिक्स का मर्डर कर रहा है और मर्डर करने के बाद उस क्रिटिक्स ने जितने भी स्टार्स फिल्म को दिए होते हैं, उतने स्टार्स वो क्रिटिक्स के माथे पर लिख देता है। सीरियल किलिंग का यह केस पुलिस ऑफिसर अरविंद माथुर (सनी देओल) को मिलता है। अरविंद के साथ यह केस क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट जेनोबिया (पूजा भट्ट) भी सॉल्व करने आती हैं, ताकि वो किलर की मानसिक स्थिति समझ सके। अब यह सीरियल किलर कौन है और किलर क्यों फिल्म क्रिटिक्स को ही अपना निशाना बना रहा है। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

डायरेक्शन :

हमेशा कुछ हटके फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर आर बाल्की ने फिल्म को डायरेक्ट किया है और उनका डायरेक्शन कमाल का है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी खूबसूरत है और सिनेमेटोग्राफी भी लाजवाब है। फिल्म का फर्स्ट पार्ट सेकंड पार्ट की अपेक्षा ज्यादा बढ़िया है। फिल्म का म्यूजिक तो औसत दर्जे का है, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है। फिल्म के डायलॉग भी काफी अच्छे हैं।

परफॉर्मेंस :

परफॉर्मेंस की बात की जाए तो सनी देओल ने इस फिल्म में काफी अलग तरह का अभिनय किया है। फिल्म में वो काफी फिट और शानदार नजर आ रहे हैं। दुलकर सलमान का किरदार फिल्म में काफी डिफिकल्ट था, लेकिन उन्होंने खुद के किरदार को काफी बारीकी से निभाया है। श्रेया धनवंतरी ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है। पूजा भट्ट का रोल फिल्म में ज्यादा बड़ा नहीं है फिर भी उनका अभिनय सराहनीय है। अमिताभ बच्चन और अध्यन सुमन का कैमियो फिल्म को सपोर्ट करता है।

क्यों देखें :

चुप एक बेहतरीन साइकोलॉजिकल थ्रिलर बनते-बनते रह गई क्योंकि फिल्म की स्टोरी बिलकुल नई है लेकिन इंटरवल के पहले ही किलर के बारे में पता चल जाना, फिल्म की सबसे बड़ी कमी है। इसके अलावा फिल्म का प्रेडिक्टेबल क्लाइमैक्स भी फिल्म को काफी कमजोर बनाता है। फिल्म में हम यह कह सकते हैं कि थ्रिल कम है लेकिन सायकोपन ज्यादा है और अगर आपको इस तरह की फिल्में देखना पसंद है तो यह फिल्म आपके लिए है।

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