Farrey Review
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Farrey Review : क्राइम ड्रामा में इमोशंस का तड़का है फिल्म फर्रे

Pankaj Pandey

स्टार कास्ट - अलीजेह अग्निहोत्री, जेन शॉ, प्रसन्ना बिष्ट, साहिल मेहता

डायरेक्टर - सौमेंद्र पाढ़ी

प्रोड्यूसर - अतुल अग्निहोत्री, अलवीरा खान अग्निहोत्री, निखिल कामत

स्टोरी

फिल्म की कहानी दिल्ली के अनाथालय में रहने वाली नियति (अलीजेह अग्निहोत्री) की है। नियति ने अपने टेंथ बोर्ड एग्जाम में टॉप किया है, जिसकी वजह से उसे दिल्ली के एक बहुत बड़े स्कूल में एडमिशन मिल गया है। स्कूल में नियति की मुलाकात छवि (प्रसन्ना बिष्ट) और प्रतीक (जेन शॉ) से होती है जो कि बड़े घराने से हैं लेकिन पढ़ाई में काफी कमजोर हैं। छवि नियति की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाती है और उसे कहती है कि अगर वो उसकी एग्जाम हॉल में मदद करेगी तो वो उसकी पैसों से मदद कर सकती है। नियति भी लालच में आकर छवि और प्रतीक की मदद करने लगती है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब स्कूल में नियति की ही तरह ज्यादा मार्क्स लाकर स्कूल में पढ़ाई कर रहा आकाश (साहिल मेहता) स्कूल प्रिंसिपल को बता देता है कि नियति एग्जाम हॉल में प्रतीक की मदद कर रही थी। नियति को कसूरवार पाकर उसे आने वाले एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाता। अब छवि और प्रतीक नियति को पैसे की लालच देकर फाइनल एग्जाम में मदद मांगते हैं। अब कैसे नियति छवि और प्रतीक की मदद करेगी और क्या वो पकड़ी जाएगी। इन सवालों का जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।

डायरेक्शन

फिल्म को डायरेक्ट सोमेंद्र पाढ़ी ने किया है और उनका डायरेक्शन बढ़िया है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी इंगेजिंग है और सिनेमेटोग्राफी भी ठीक है। बस फिल्म का क्लाइमेक्स काफी निराश करता है क्योंकि क्लाइमेक्स और भी बेहतर किया जा सकता था। फिल्म की एडिटिंग ठीक है और म्यूज़िक औसत दर्जे का है। फिल्म का फर्स्ट पार्ट सेकंड पार्ट की अपेक्षा ज्यादा बढ़िया है।

परफॉर्मेंस

परफॉर्मेंस की बात करें तो फिल्म से डेब्यू कर रही अलीजेह अग्निहोत्री ने काफी अच्छा काम किया है। फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस देखकर नहीं लगता कि उनकी यह पहली फिल्म है। प्रसन्ना बिष्ट ने भी अपने किरदार छवि की परफॉर्मेंस से काफी इंप्रेस किया है। जेन शॉ ने भी बढ़िया काम किया है। साहिल मेहता ने भी अपनी पिछली फिल्मों की तरह अच्छा काम इस फिल्म में भी किया है। रॉनित रॉय और जूही बब्बर सोनी ने भी ठीक काम किया है। शिल्पा शुक्ला का भी काम सराहनीय है। अरबाज खान का कैमियो फिल्म को सपोर्ट करता है।

क्यों देखें

सोमेंद्र पाढ़ी निर्देशित फिल्म फर्रे एग्जाम हॉल में होने वाली चीटिंग पर बेस्ड है, जिसे दिल्ली में फर्रे कहा जाता है। फिल्म में नकल करके आगे बढ़ने वाले स्टूडेंट्स की कहानी बताई गई है लेकिन बाद में उसका रिजल्ट भी क्या होता है, वो भी बताया गया है। यह फिल्म बताती है कि नकल करना और नकल करवाना कितना गलत है क्योंकि यह एक क्राइम है और अगर आप यह करते हुए पकड़े जाते हो तो आपकी पूरी लाइफ खराब हो सकती है। अगर आपको एक क्राइम ड्रामा फिल्म में इमोशंस का तड़का देखना है तो यह फिल्म आपके लिए है।

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