Sam Bahadur Review
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Sam Bahadur Review : मानेकशॉ की लाइफ को सेलिब्रेट करती है सैम बहादुर

Pankaj Pandey

स्टार कास्ट - विक्की कौशल, सान्या मल्होत्रा, फातिमा सना शेख

डायरेक्टर - मेघना गुलजार

प्रोड्यूसर - रॉनी स्क्रूवाला

स्टोरी

फिल्म की कहानी सैम मानेकशॉ (विक्की कौशल) के जवानी के दिनों से शुरू होती है। जहां पर दिखाया जा रहा है कि वो लड़कियों के बीच काफी पॉपुलर हैं और लड़कियां उनसे आसानी से इंप्रेस हो जाती हैं। उसी पार्टी में मौजूद सैम की नजर सीलू (सान्या मल्होत्रा) पर पड़ती हैं और पहली ही मुलाकात में सैम सीलू को शादी के लिए प्रपोज कर देते हैं। कहानी आगे बढ़ती है और सैम और सीलू की शादी हो जाती है। फिर आगे कैसे सैम अपनी बहादुरी और दिमाग से इंडियन आर्मी के चीफ बनते हैं और अपनी सेना को लीड करके सन 1971 में पाकिस्तान को युद्ध में पटखनी देते हैं, यह सब कुछ फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म में सैम मानेकशॉ और पूर्व प्रधानमंत्री रह चुकी इंदिरा गांधी (फातिमा सना शेख) के बीच प्यार भरी नोक-झोंक भी दिखाई गई है जो कि जरूर दर्शकों को पसंद आएगी। इसके अलावा फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि सैम मानेकशॉ इकलौते ऐसे आर्मी ऑफिसर थे जो कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आगे भी झुकते नहीं थे और उन्हें भी स्वीटी कहकर बुलाते थे। अगर आपको और भी जानकारियां सैम मानेकशॉ के बारे में जाननी है तो आपको यह फिल्म देखनी होगी।

डायरेक्शन

राजी और छपाक जैसी बेहतरीन फिल्में डायरेक्ट कर चुकी मेघना गुलजार ने फिल्म को डायरेक्ट किया है और उनका डायरेक्शन संतोषजनक है। फिल्म का स्क्रीनप्ले थोड़ा स्लो है, खासतौर पर फर्स्ट हाफ में लेकिन लाजवाब सिनेमेटोग्राफी ने फिल्म को एक अलग लेवल पर पहुंचा दिया है। फिल्म की एडिटिंग ठीक है और म्यूजिक औसत दर्जे का है। फिल्म में वॉर सीक्वेंस को बहुत ही खूबसूरती से फिल्माया गया है और डायलॉग अच्छे बन पड़े हैं।

परफॉर्मेंस

परफॉर्मेस की बात करें तो फिल्म में टाइटल रोल निभा रहे एक्टर विक्की कौशल ने लाजवाब काम किया है। सैम मानेकशॉ के रोल को उन्होंने स्क्रीन पर बखूबी निभाया है, फिर चाहे उनके बोलने या फिर चलने का ढंग हो। सान्या मल्होत्रा ने भी सैम मानेकशॉ की पत्नी के रोल को अच्छे से प्ले किया है। फातिमा सना शेख ने भी इंदिरा गांधी के किरदार को काफी बारीकी से निभाया है। मोहम्मद जीशान अय्यूब ने भी अपने किरदार को काफी अच्छे से प्ले किया है। गोविंद नामदेव और नीरज कबी ने भी ठीक काम किया है। फिल्म के बाकी किरदारों का काम भी ठीक है।

क्यों देखें

सैम बहादुर फिल्म खासतौर पर सन 1971 में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में सैम मानेकशॉ के लाजवाब माइंड और वीरता को सलाम करती है और उनकी लाइफ को सेलिब्रेट भी करती है। फिल्म में सैम मानेकशॉ की जवानी से लेकर उनके फील्ड मार्शल बनने की कहानी बताई गई है। अगर आप सैम मानेकशॉ जैसे बहादुर इंसान के बारे में जानना चाहते हैं तो यह फिल्म जरूर देखें।

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