सोनू सूद डोनेट किए फेस शील्ड
सोनू सूद डोनेट किए फेस शील्ड Pankaj Baraiya - RE
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सोनू सूद ने पुलिस वालों की मदद के लिए "25 हज़ार फेस शील्ड्स" दान किये

Author : Sudha Choubey

सोनू सूद महामारी कोरोना वायरस संकट के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में एक मसीहा के तौर पर उभरे हैं। सोनू ने पहले दूसरे शहरों और प्रदेशों में अटके हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया, अब उन्होंने मुंबई पुलिस को 25 हज़ार फेस शील्ड्स दान की हैं। महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए सोनू सूद का शुक्रिया अदा किया।

अनिल देशमुख ने दी जानकारी:

महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्विटर अकाउंट पर सोनू सूद के साथ अपनी एक तस्वीर साझा की है। उन्होंने लिखा, ''मैं हमारे पुलिस कर्मियों को 25,000 फेस शील्ड देने के लिए सोनसूद जी को धन्यवाद देता हूं।'' सोनू सूद के इस पहल की जमकर सराहना की जा रही है। सोशल मीडिया यूजर्स उनकी तारीफ करते नहीं थक रहें हैं।

सोनू सूद ने किया रिप्लाई:

अभिनेता सोनू सूद ने भी इसका जवाब दिया है। उन्होंने जवाब देते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, "आपके विनम्र शब्दों से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मेरे पुलिस के भाई-बहन असली हीरो हैं और उनके प्रशंसनीय काम के बदले कम से कम इतना तो कर ही सकता हूं। जय हिंद।"

आपको बता दें कि, कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान सोनू ने महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में फसे हुए प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की एक मुहिम चलाई थी, जिसके तहत बसों और फ्लाइट्स के ज़रिए उन्होंने सैकड़ों मजदूरों और विद्यार्थियों को उनके गृह नगरों और प्रदेशों में पहुंचाया। इसका पूरा खर्च सोनू ने ख़ुद उठाया था। सोनू ने लोगों तक पहुंचने के लिए हेल्प लाइन भी शुरू की थी और ट्विटर, व्हाट्सएप के ज़रिए भी लोगों तक पहुंचने की कोशिश की थी। सोनू के इस काम की सराहना सोशल मीडिया में जमकर की गयी। सोनू के यह अभियान अभी भी जारी है।

सोनू सूद लिखेंगे किताब:

हाल ही में सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों की मदद करने के अपने अनुभव पर किताब लिखने का फैसला किया है। सोनू सूद ने कहा है कि, मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे इन लोगों की मदद करने का जरिया बनाया। मेरा दिल यूं तो मुंबई के लिए धड़कता है लेकिन इस मूवमेंट के बाद मुझे ऐसा लगता है कि, मेरी जिंदगी का कुछ हिस्सा यूपी, बिहार, झारखंड, असम, उत्तराखंड और ऐसे ही कई राज्यों में भी बस गया है जहां मैंने नए दोस्त बनाए हैं। मैं वादा करता हूं कि, मैं तब तक काम करता रहूंगा, जब तक आखिरी माइग्रेंट्स अपने घर और प्रियजनों के पास नहीं पहुंच जाता।

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