पश्चिम बंगाल जन संवाद रैली में अमित शाह
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भारत

पश्चिम बंगाल जन संवाद रैली में अमित शाह ने शायराना अंदाज में दी स्पीच

Priyanka Sahu

पश्चिम बंगाल, भारत। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। बिहार और ओडिशा के बाद आज मंगलवार को अमित शाह पश्चिम बंगाल जन संवाद रैली को संबोधित कर रहे हैं।

इस दौरन गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को CAA, राजनीतिक हिंसा और केंद्र की योजनाएं लागू न करने जैसे कई अहम मुद्दों को लेकर निशाने पर लिया। साथ ही अमित शाह ने ममता बनर्जी की सत्ता खिसकाने का भी आह्वान किया है।

शायराना अंदाज में बोले अमित शाह :

अमित शाह ने अपने भाषण के अंत में शायराना अंदाज में भी कुछ बाते कही एवं मशहूर कवि दुष्यंत कुमार की कविता पढ़कर बंगाल में परिवर्तन का आह्वान किया।

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए, सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए...

शाह के संबोधन की मुख्य बातें :

  • मैं बंगाल की जनता को ये कहना चाहता हूं कि भले ही भाजपा को 303 सीटें देशभर से मिली है, लेकिन मेरे जैसे कार्यकर्ता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है बंगाल की 18 सीटों पर विजय मिली।

  • जब जन सम्पर्क और जन संवाद का इतिहास लिखा जाएगा तो नड्डा जी के नेतृत्व में भाजपा द्वारा किया गया virtual rallies का ये प्रयोग एक विशेष अध्याय के रूप में लिखा जाएगा।

  • मोदी जी 2014 में देश के प्रधानमंत्री बनें और 2019 में फिर से जनादेश प्राप्त किया और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष समाप्त हुआ है। ये 6 साल भारत को हर तरीके से आगे बढ़ाने के 6 साल रहे हैं। ये 6 साल भारत की समस्याओं का समाधान करने के रहे हैं।

  • ममता दी आप हमारा हिसाब मांगती हो, मैं तो हिसाब लेकर आया हूं, लेकिन आप भी कल प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी सरकार का हिसाब दीजिए और कहीं बम धमाकों या बंद हुई फैक्ट्रियों का नंबर मत बता दीजिएगा। भाजपा के मार दिए गए कार्यकर्ताओं की संख्या मत बता दीजिएगा।

  • यूपीए ने 10 साल में एक बार 3.5 करोड़ किसानों का 60 हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ किया, लेकिन आंकड़े कुछ और है। मोदी जी ने 9.5 करोड़ किसानों के बैंक अकाउंट में 72 हजार करोड़ रुपये पहुंचाने का काम किया है। साल हर किसान को 6 हजार रुपया पहुंचाया जा रहा है।

  • जिस बंगाल में रविन्द्र संगीत की धुन सुनाई देती थी, वो बंगाल आज बम धमाकों से दहल रहा है। गोलियों की आवाज, हत्याओं और लोगों की चीखों से सुन्न रह गया है। कौमी दंगों से इसकी आत्मा को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है।

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