APJ Abdul Kalam Death Anniversary
APJ Abdul Kalam Death Anniversary Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

APJ Abdul Kalam : वह एक घटना जिसने पूरी तरह से बदल दिया था डॉ. कलाम का जीवन

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से प्रसिद्द ‘भारत रत्न‘ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) की आज सातवीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर देश-दुनिया के लोग डॉ. कलाम को याद कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का सम्पूर्ण जीवन ही आदर्शों से भरा रहा है। डॉ. कलाम के जीवन से करोड़ों देशवासियों को जीवन में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है। हालांकि एक समय ऐसा भी आया था, जब डॉ. कलाम खुद जीवन में मिल रही असफलताओं से बुरी तरह से निराश हो चुके थे। ऐसी स्थिति में एक संत ने उन्हें सही राह दिखाई थी, उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। डॉ. कलाम की पुण्यतिथि पर जानते हैं, उनके जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव के बारे में :

एयरफोर्स में जाने का सपना टूटा :

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई खत्म करने के बाद डॉ. कलाम हिंदुस्तान ऐरोनोटिक्स लिमिटेड में बतौर ट्रैनी काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस दिल्ली में बतौर इंजीनियर और एयरफोर्स में नौकरी के लिए आवेदन किया। हालांकि डॉ. कलाम एयरफोर्स में जाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने देहरादून (Dehradun) जाकर इंटरव्यू भी दिया था, लेकिन 25 उम्मीदवारों की सूची में वह नौवे नंबर पर आए, जबकि 8 उम्मीदवारों का ही चयन होना था। इस तरह डॉ. कलाम का एयरफोर्स (Air Force) में जाने का सपना टूट गया था।

ऋषिकेश में बदला जीवन :

कम उम्र में ही डॉ. कलाम पर पारिवारिक जिम्मेदारियां आ गई थीं। ऐसे में एयरफोर्स में सिलेक्शन ना होने पर वह बुरी तरह से निराश हो गए थे। उनके पास घर जाने के लिए भी पैसे नहीं थे। निराशा का भाव लेकर डॉ. कलाम देहरादून से ऋषिकेश चले गए। वहां जब स्वामी शिवानंद ने एक बालक को निराश देखा तो उससे बात की। इस पर डॉ. कलाम ने स्वामी शिवानंद को पूरी बात बताई। इसके बाद स्वामी शिवानंद ने डॉ. कलाम को समझाया और उन्हें जीने की सही राह दिखाई। डॉ. कलाम कुछ दिनों तक स्वामी शिवानंद के आश्रम में रहे। इसके बाद स्वामी शिवानंद ने उन्हें गीता और कुछ पैसे देकर विदा किया।

बदल गई जिंदगी :

डॉ. कलाम ने अपनी बायोग्राफी में इस बात का विशेष उल्लेख किया है कि किस तरह से ऋषिकेश जाने के बाद उनका जीवन बदल गया। इस घटना के बाद उन्होंने डीटीडीपी में बतौर सीनियर साइंटिस्ट असिस्टेंट ज्वाइन किया। आगे चलकर वह देश के महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति बने।

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