भारत सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो DAP को दी गई मंजूरी
भारत सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो DAP को दी गई मंजूरी Social Media
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किसानों के लिए बड़ी खबर, भारत सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो DAP को दी गई मंजूरी

Sudha Choubey

नई दिल्ली, भारत। किसानों के लिए एक नई खुशखबरी सामने आई है। खबर आई है कि, अब नैनो यूरिया (Nano Urea) की तर्ज पर किसानों को नैनो डीएपी (Nano DAP) भी बोतल में मिलेगी। नैनो यूरिया के बाद भारत सरकार ने अब नैनो डीएपी को भी मंजूरी दे दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया (Dr. Mansukh Mandaviya) ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है।

डॉ. मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कही यह बात: डॉ. मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा कि, "उर्वरक में आत्मनिर्भरता की तरफ एक ओर बड़ी उपलब्धि! भारत सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो DAP को भी मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के विजन आत्मनिर्भर भारत के तहत, यह सफलता किसानों को अत्यधिक लाभ देने वाली है।" उन्होंने इसे उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि, इससे किसानों को फायदा होगा।

बता दें कि, नैनो तरल डीएपी को वर्ष 2021 में पहली बार लाने वाले उर्वरक सहकारी संघ इफको ने बीते दिन शुक्रवार को ही कहा था कि, सरकार ने उसके नैनो डीएपी उर्वरक को बाजार में उतारने की मंजूरी दे दी है। इफको के प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी ने एक ट्वीट में कहा था कि, इफको नैनो डीएपी को कृषि मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है और इसके उत्साहजनक परिणामों को देखते हुए इसे उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) में अधिसूचित किया गया है।

किसानों को होगा फायदा:

जानकारी के लिए बता दें कि, केंद्र सरकार ने इफको के बनाए डाई अमोनिया फास्फेट को फर्टिलाइजर्स कंट्रोल ऑर्डर में शामिल किया है। ऐसा होने के बाद देश में डीएपी की व्यावसायिक रिलीज का रास्ता साफ हो गया है। नैनो डीएपी लॉन्च होने से किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है। अभी डीएपी बोरी में मिलती रही है, जिसकी ढुलाई में किसानों को बहुत समस्या आती रही है।

क्या है नैनो DAP:

वहीं, अगर नैनो डीएपी के बारे में बात करे, तो नैनो डीएपी डाय अमोनिया फॉस्फेट का तरल रूप है। इसे अभी तक ये पाउडर-गोलियों के तौर पर पीले रंग की बोरियों में उपलब्ध होता है। ये रसायन खाद पौधों के अंदर नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी को पूरा करती है। खाद में 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसजी फॉस्फोरस होता है। इससे पौधों की जड़ के विकास में मदद मिलती है।

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